झाबुआ

“मातृधरा अभियान: नारी शक्ति से प्रकृति को शक्ति” — यशवी शाह कर रही हैं पर्यावरण संरक्षण का प्रेरणादायी कार्य…!

#Jhabuahulchul 

झाबुआ@हरीश यादव 

झाबुआ कलेक्टर नेहा मीना की प्रेरक पहल पर प्रारंभ किए गए “मातृधरा अभियान” के अंतर्गत झाबुआ जिले में नारी शक्ति के माध्यम से हरियाली को बढ़ावा देने एवं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई सराहनीय प्रयास हो रहे हैं। इस अभियान का उद्देश्य है— महिलाओं की भागीदारी से प्रकृति को संबल प्रदान करना और समाज में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाना।

इसी क्रम में राणापुर की महाशक्ति महिला मंडल की सदस्य यशवी शाह पर्यावरण संरक्षण का एक सशक्त उदाहरण बनकर उभरी हैं। वे न केवल अपने निजी प्रयासों से पौधे तैयार कर रही हैं, बल्कि उन्हें निःशुल्क वितरित कर लोगों को भी इस कार्य के लिए प्रेरित कर रही हैं।

अपने प्रयासों से गढ़ रही हैं हरियाली की कहानी

यशवी शाह ने जानकारी दी कि उन्होंने विगत वर्ष 120 पौधे स्वयं तैयार कर वितरित किए, जबकि इस वर्ष अब तक 98 पौधों का वितरण कर चुकी हैं और उनका लक्ष्य है कि वर्ष के अंत तक 150 से अधिक पौधे वितरित किए जाएं। वे अपने घर पर छोटी सी नर्सरी संचालित करती हैं, जहाँ कोई भी व्यक्ति आकर अपनी पसंद का पौधा प्राप्त कर सकता है।

यशवी कहती हैं, “जो भी मेरे पास पौधा लेने आता है, वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता। पौधों की देखभाल और बागवानी से मन को सुकून और मानसिक शांति मिलती है।”

पर्यावरण संरक्षण के साथ उत्सवों में हरियाली का संदेश

यशवी शाह का परिवार भी पर्यावरण के प्रति सजग है। वे अपने घर में किसी भी विशेष अवसर जैसे जन्मदिन, वर्षगाँठ अथवा अन्य शुभ प्रसंग पर पौधों को उपहार स्वरूप भेंट करते हैं। उन्होंने बताया कि वे अपने बच्चों को भी पौधों को गिफ्ट देने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, जिससे बचपन से ही उनमें पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता उत्पन्न हो।

वेस्ट मैनेजमेंट को भी बना रही हैं आदत

पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से यशवी शाह वेस्ट मैनेजमेंट के “रीड्यूस, रीयूज एवं रीसायकल” सिद्धांत को भी अपनाती हैं। वे पौधों के वितरण हेतु प्लास्टिक की बोतलें और टीन के डिब्बों का पुनः उपयोग कर एक सकारात्मक संदेश देती हैं कि छोटे-छोटे प्रयास भी बड़े परिवर्तन ला सकते हैं।

“मातृधरा अभियान” के अंतर्गत यशवी शाह जैसे नागरिकों की सक्रिय भूमिका यह सिद्ध करती है कि यदि प्रत्येक व्यक्ति पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझे और छोटे-छोटे कदम उठाए, तो प्रकृति के संरक्षण में बड़े बदलाव संभव हैं। जिला प्रशासन द्वारा ऐसे प्रयासों को पहचान देने और प्रोत्साहित करने का कार्य सतत रूप से किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!