भामल गांव में उल्टी-दस्त से हाहाकार: 100 के पार पहुंचे मरीज,,,प्रशासन सवालों के घेरे में..!

#Jhabuahulchul
खवासा@आयुष पाटीदार/आनंदीलाल सिसोदिया
ग्राम भामल में उल्टी-दस्त का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीमारों की संख्या 100 के पार पहुंच गई है, और प्रशासनिक दावों के बावजूद हालात काबू में नहीं आ रहे। ग्रामीणों का सब्र अब टूट चुका है। आरोपों की बौछार सीधे प्रशासन पर हो रही है , “पानी को बेकसूर बताकर असली वजह से ध्यान भटका रहे हैं अधिकारी।
बीमारी की असली वजह क्या है..?..प्रशासन जवाब देने से बच रहा है..?
जांच रिपोर्ट में पानी को क्लीन चिट दे दी गई है, लेकिन अगर पानी ज़हरीला नहीं था, तो फिर 100 से ज़्यादा लोग एक ही तरह की बीमारी से कैसे ग्रसित हो गए? ग्रामीण इस सवाल का जवाब मांग रहे हैं। प्रशासन द्वारा बीमारी की वजह ‘फूड पॉइज़निंग’ बताना भी ग्रामीणों को गले नहीं उतर रहा। वे पूछ रहे हैं कि आख़िर इतने बड़े स्तर पर पूरे गांव में एक साथ भोजन कब और कहां परोसा गया, जो सबको बीमार कर दे..?
खुले कुएं से सप्लाई और गंदगी का आलम — लापरवाही की खुली किताब..?
गांव का पेयजल सप्लाई जिस कुएं से होता है, वह पूरी तरह खुला पड़ा हुआ है और उसके आसपास गंदगी का अम्बार लगा है। सवाल यह है कि क्या इसी लापरवाही की वजह से बीमारी फैली..?..जब पीने के पानी का स्रोत ही असुरक्षित है, तो रिपोर्ट में ‘साफ पानी’ की बात कितनी विश्वसनीय है..?
प्रशासनिक दावा बनाम ज़मीनी हकीकत — कौन झूठ बोल रहा है…?
प्रशासन बीमारी की गंभीरता को कम करके आंक रहा है, जबकि गांव में दहशत फैली हुई है। कई बीमारों को अभी भी प्राथमिक उपचार नहीं मिल पा रहा। गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुद बीमार पड़ा हुआ नजर आ रहा है।
ग्रामीणों का फूटा गुस्सा
हमारे बच्चों की तबीयत बिगड़ी, प्रशासन अब भी आराम से बैठा है…!
गांव वालों का आरोप है कि प्रशासन सिर्फ आंकड़ों में खेल रहा है, जमीनी कार्रवाई कहीं नजर नहीं आ रही। अगर समय रहते स्थिति पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो भामल एक बड़ी स्वास्थ्य आपदा का शिकार बन सकता है।
क्या प्रशासन सच छुपा रहा है..?
क्या गांव की उपेक्षा जानबूझकर की जा रही है?
क्या ज़िम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई होगी या फिर हमेशा की तरह यह मामला भी दबा दिया जाएगा..?
इन सवालों का जवाब अब प्रशासन को देना ही होगा… ग्रामीण चुप नहीं बैठेंगे…?