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जैविक खेती की ओर एक कदम: आईजी नर्सरी में केंचुआ खाद निर्माण शुरू।

 

रायपुरिया@राजेश राठौड़

पेटलावद तहसील गांव सागडीया में पहले जैविक केंचुए खाद के प्रोजेक्ट की शुरुआत आईजी नर्सरी के संचालक योगेश सेप्टा ने किसानों को जैविक खेती की ओर प्रेरित करने के लिए एक नया नवाचार किया है। उन्होंने अपने खेत पर जैविक केंचुआ खाद बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया, जिससे किसानों को रासायनिक खादों पर निर्भरता कम करने और फसलों की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद मिलेगी।

जैविक खाद से उर्वरक क्षमता में वृद्धि

सेप्टा ने बताया कि पेटलावद तहसील में किसान बड़ी मात्रा में रासायनिक खादों का उपयोग करते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम हो रही है और फसलों पर विभिन्न बीमारियों का असर बढ़ रहा है। इस समस्या को देखते हुए उन्होंने अपने खेत की गोशाला में प्रतिदिन निकलने वाले गोबर का उपयोग जैविक खाद बनाने के लिए करने का निर्णय लिया।

शिमला मिर्च व गेहूं की फसल पर सफल प्रयोग उन्होंने पहले अपने खेत की शिमला मिर्च की फसल पर जैविक खाद का इस्तेमाल किया, जिससे उत्पादन में वृद्धि देखी गई और फल भी बड़े आकार के निकले। इसके बाद गेहूं की फसल पर भी जैविक खाद का प्रयोग किया गया, जिससे बेहतर परिणाम मिले।

40 बंट में तैयार हो रही जैविक खाद

इस प्रोजेक्ट के तहत 40 बंट (बेड) बनाए गए हैं, जिनमें गोबर खाद और केंचुए डाले गए हैं। करीब डेढ़ से दो महीने में यह खाद पूरी तरह तैयार हो जाएगी। इस कार्य में करीब दो से ढाई लाख रुपए की लागत आई है।

किसानों को जैविक खेती अपनाने की अपील

आईजी नर्सरी के सेल्समेन हेमंत दवे ने कहा कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य किसानों को जैविक खाद के उपयोग के लिए प्रेरित करना है, ताकि उनकी फसलों का उत्पादन बेहतर हो और भूमि की उर्वरक क्षमता बनी रहे।

संचालक योगेश सेप्टा ने कहा कि पिछले तीन-चार वर्षों में रासायनिक खादों के अधिक उपयोग से किसानों को घाटा झेलना पड़ा है। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने जैविक केंचुआ खाद बनाने का यह प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसका सकारात्मक परिणाम भी मिला है। अब इसे बड़े स्तर पर विस्तारित किया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक किसानों को जैविक खाद उपलब्ध कराई जा सके।

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