
#Jhabuahulchul
रायपुरिया@राजेश राठौड़
संक्रांति के महापर्व पर गांव में धर्मालंबियो द्वारा दान पुण्य के रूप में मनाया गया तील्ली ,गुड का वितरण करते हुए आज लोग इस धार्मिक पर्व को मना रहे हैं संक्रांति पर्व पर महिलाएं विभिन्न उपयोग की सामग्रियों का दान करती है जिसमें महिलाएं कंगी ,कुमकुम बिंदिया, वह श्रृंगार की वस्तुएं महिलाएं देती है धर्म पुण्य का लाभ प्राप्त करने के लिए ब्राह्मणों को विशेष दान देने के साथ ही गरीब निर्धन लोगों को वस्त्र दान भोजन आदि देकर पुण्य प्राप्त करते हैं मकर संक्रांति पर्व पर में होने वाली पतंग बाजी के लिए में जरूर उत्साह था बच्चों में खासा उत्साह देखा गया सुबह से ही बच्चे पतंग उड़ाने के लिए अपने घरों की छत पर पहुंचकर आसमान में कलाबाजी करते हुए नजर आए मकर संक्रांति का पुराना खेल कुछ गली मोहल्ले जरूर रेडी की आवाज सुनाई दे रही थी तोतली आवाज में छोटे छोटे बच्चे गुल्ली डंडे के खेल में भी व्यस्त रहे आज के इस आधुनिक युग में पुराने खेलों का महत्व कम होता जा उसका एक कारण तो मोबाइल दुसरा पढ़ाई का बोझ तीसरा माता पिता उन्हें पुराने खेलों के बारे नहीं बताते हम पहले ऐसे खेलते थे आज के समय में जिंदगी बहुत ही व्यस्त हो गई इस युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति एवं अपनी परम्परा बताना होगा नहीं तो आने वाले समय यह चीजें लुप्त हो जायेंगी।