
#Jhabuahulchul
झकनावदा@नारायण राठौड़
मध्य प्रदेश के मोहन यादव सरकार के द्वारा फ़र्ज़ी झोलाछाप डॉक्टरों पर शिकंजा कसने एवं उन पर सख़्त कार्रवाई करने के आदेश जारी करने के कई माह बीत जाने के बाद भी अब तक उन पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। झाबुआ ज़िले के ग्रामीण इलाकों के हर गली मोहल्लेमें लाल, पीली गोली से बीमारी के उपचार का दावा करने वाले झोलाछाप डॉक्टरों पर अब भी कोई सख़्त कार्रवाही नहीं। प्रदेश सरकार ने सभी ज़िलों के कलेक्टर और जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को गाँव गाँव शहर में ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों की तलाश करने के लिए आदेश जारी किए थे जो बिना किसी डिग्री और ट्रेनिंग के इलाज कर रहे हैं लेकिन इन आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए वरिष्ठ अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं इसी वजह से पूरे प्रदेश के साथ ही झाबुआ जिले में झोलाछाप डॉक्टरों का इलाज का व्यावसायिक जारी है समूचे ज़िले में झोलाछाप डॉक्टरों का जाल फैला हुआ है। दरअसल गर्मी और बारिश के मौसम में बुखार ,खाँसी ,जुकाम जैसी छोटी बीमारी होने पर लोग इलाज के लिए झोलाछापों से दवा ले लेते हैं ऐसे झोलाछाप कम क़ीमत में दवा और इलाज को कर देते हैं लेकिन कई मामलों में ऐसा इलाज जानलेवा साबित भी हो रहा है। क्योंकि इन डॉक्टरों के पास न कोई डिग्री होती है और न कोई ट्रेनिंग होती है यही वजह है कि मोहन यादव सरकार ने झोलाछाप फ़र्ज़ी डॉक्टरों पर शिकंजा कसने के आदेश जारी किए थे।
प्रत्येक छोटे-छोटे गांवों में बसे झोलाछाप…
मोहन सरकार तो झोलाछाप डॉक्टरों के लिए सख्त नज़र आईं व इसकी तैयारी के लिए झोलाछाप चिकित्सकों के संस्थानों पर तत्काल प्रतिबंध लगाने के निर्देश भी दिए थे ।विभाग ने ग्रामीण इलाकों में झोलाछाप डॉक्टरों के बारे में जानकारी भी माँगी थी ।स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए गए थे कि ग्रामीण इलाकों में पहुँच कर सरकारी सुविधाओं के बारे में जानकारी दें तथा सभी जिला कलेक्टरों एवं जिला चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दे। लेकिन निर्देश के बाद भी ज़िले के वरिष्ठ अधिकारी अब भी नहीं हुए सख़्त आख़िर क्यो ?इसको लेकर ज़िले के वरिष्ठ अधिकारियों पर जानता के मन में एक बड़ा सवाल है ?

डिग्रीधारी डॉ. ही कर सकते हैं उपचार…
बता दें कि एलोपैथी यानी अंग्रेजी दवाओं से इलाज सिर्फ़ MBBS डिग्री धारक डॉ . या उससे ऊपर किसी भी क्षेत्र का विशेषज्ञ का उपचार कर सकते हैं इसके अलावा किसी को भी अंग्रेजी दवाओं से इलाज करने की इजाज़त नहीं होती है अगर कोई झोलाछाप डॉ. पकड़ा जाता है तो उसके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई हो सकती है । चिकित्सा शिक्षा संस्थान (नियंत्रण) अधिनियम 1973 या संशोधित अधिनियम 1975 एवं संशोधन अधिनियम 2006 की -7 ग का उल्लंघन करने पर तीन साल की जैल या 50,000 रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है ।
झोलाछाप बड़े बड़े एमबीबीएस की तरह बेख़ौफ़ कर रहे उपचार…
ज़िले भर में ऐसे कई झोलाछाप डॉ . है जो बेख़ौफ़ बड़ी बीमारियों का उपचार भी करने में लगे हैं ।अक्सर देखा जाता है कि मरीज़ को यह हाई डोज देते हैं जिससे मरीज जल्द ठीक हो सके व झोलाछाप की इमेज बनी रहे ऐसे में मरीज़ व ग्रामीण भोले भाले यह नहीं समझ रहे है कि इनकी हेवी डोज से मरीज़ों की हालात और गंभीर होती है व उनकी बॉडी के कई अंगों पर इसका ग़लत इन्फैक्शन हो सकता है व कई बार तो यह झोलाछाप अपने परिचित रिश्तेदारों को बुलवाकर स्वयं प्रैक्टिस करवाते हैं सामान्य ज्ञान प्राप्त होने के बाद उनको आस पास के छोटे छोटे गांवों में बिना किसी डिग्री के क्लीनिक खुलवा देते हैं। पेटलावद तहसील में भी देखा जाए तो छोटे छोटे गांवों में इन झोलाछाप डॉक्टरों ने दो-दो-तीन-तीन अवैध क्लिनिक संचालित हो रहे हैं लेकिन इस और जिला चिकित्सा अधिकारी एवं जवाबदारो का कोई ध्यान आकर्षित नहीं है ।जिससे यह झोलाछाप बेख़ौफ़ होकर मरीज़ों का उपचार कर रहे हैं और मरीज़ों की जान के साथ बिना किसी अनुभव के खिलवाड़ कर रहे हैं।




