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सजेली हादसे से क्यों नहीं ले रहे सबक,,क्या हादसे के बाद जागेगा,,झाबुआ जिला प्रशासन..?..क्यू ओवरलोडिंग वाहनों पर करवाई नहीं की जाती..?..बे खौफ लोडिंग सवारी वाहन धल्ले से गुजर रहे..?..आखिर कौन जिम्मेदार..?..9 मासूम लोगों की मौत के बाद भी नहीं जागेगा प्रशासन क्या..?…आखिर कब तक प्रशासन अनदेखी में रहेगा..?

#Jhabuahulchul 

झाबुआ@जितेंद्र बैरागी/आयुष पाटीदार 

झाबुआ जिले में बुधवार को एक दुखद और बड़ी घटना सामने आई थी। जिसमें दो परिवारों की 9 जिंदगियां पल भर में खत्म हो गई। जबकि दो गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा देर रात सजेली रेलवे फाटक के समीप निर्माणाधीन पुल के पास हुआ जब एक अनियंत्रित ट्राले ने सामने से आ रही ईको वेन को कुचल दिया। तस्वीरें देख कर इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि बै काबू ट्राले की स्प्रिट कितनी थी। देख कर लग रहा था कि किसी ने मुट्ठी में दबा कर इको कार को रखा हो..?…क्या हाल हुआ होगा उन 9 मासूम जिंदगियों का..?…अस्पताल में भर्ती घायल परिवार पूछते है कि कहा हे हमारा परिवार..?…मंगलवार बुधवार दरिमय रात्रि करीब 12 बजे शादी समारोह से लौट रहा था परिवार..नींद में थी जिंदगी ओर ट्राला बन गया काल..?… भयावह मंजर देख कर ऐसा लग रहा था कि क्या हुआ होगा उन 9 मासूम परिवार के साथ..?…जो पल भर में काल की गाल में समा गए..9 मासूम लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन..?

एक साथ दो परिवार की उठी नो अर्थी…

नम आंखों से परिवार ने दी विदाई…हर किसी के आंसू इस हादसे में वह निकले…भीषण सड़क हादसे में जान गवाने वाले नो लोगो की अंतिम विदाई एक ही गांव से निकली जिसमें दो परिवार के नो लोगो की अर्थी देख हर कोई भावुक था जहां देखो वहां अर्थियों ही दिख रही थी…परिवार वालो का रो रोकर बुरा हाल था तो हर किसी के आंखे नम थी। जिसमे हर कोई नाम आंखों से अब इन लोगों को विदाई दे रहा था। सभी की आंखे नम थी।

अब घटना के बाद सवाल यह उठता है कि क्या ओवरलोडिंग ट्रोले की जांच होगी..?…क्या चालक को पकड़ने के लिए पुलिस सख्त कार्रवाई करेगी..?..निर्माणाधीन पुल पर क्यूं सांकेतिक बोर्ड नहीं लगाए गए..?…जब कि इतना बड़ा कार्य चल रहा था तो बैरिकेट ओर सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम क्यों नहीं किए गए। घटना को लेकर उठ रहे सवाल..?

क्या सड़क सुरक्षा के नाम पर केवल पोस्टर छपने पर सीमित रहेगा प्रशासन..?.. बता दे कि जहां देश एक तरफ टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ रहा है। वहीं सड़कों पर लाशे और टूटे परिवार हमे यह याद दिलाते हैं कि हम अब भी असल सुरक्षा की जिंदगी में कितने पीछे है..?… देखा जाएं तो सड़कों पर बिना परमिट और बे खौफ लोडिंग सवारी वाहन धल्ले से गुजर रहे… क्षमता से भी ज्यादा वाहनों में सांवरिया बिठाई जा रही.. जिम्मेदारी कौन..?

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