खवासा

खवासा उपजमंडी मे लगे लंबे समय से ताले,,,किसानों की मेहनत ओने पोने दाम में बिकने को मजबूर..!

Jhabuahulchul 

झाबुआ जिले की जहां अन्य मंडियों में ट्रैक्टरों, किसानों, से बहरी है,फसल के भाव की बोलियो से पुरी मंडी गुंज रही है। परंतु इस भरचक सीजन में थांदला विकासखंड की खवासा उपज मंडी में बिल्कुल सन्नाटा पसरा हुआ है। विरान मंडी के ऑफिस में ताला लगा हुआ है, ओर अन्दर धूल मिट्टी जम रही है। कभी किसानों की उम्मीद का केंद्र रही यह मंडी परिसर अब घुमक्कड़ लोगों का ठिकाना बन चुकी है।

किसानों का कहना है कि इस वर्ष मौसम की मार के साथ वायरस के प्रकोप ने फसलों को बहुत नुक्सान पहुंचा है।अब जेसे तेसे जो भी फसल पेंदा वार हुईं हैं।अब उसकी बिक्री के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है। कई किसान जिनकी फसल कम हे, या पेसे की तुरंत आवश्यकता वो अन्य गांव की मंडी में न जाते हुए। निजी व्यापारी को औने-पौने दामों मे फसल बेचने पर मजबूर हो रहे हैं।

इस समय खवासा के आसपास भामल, मकोडिया, नरसिंगपाडा, सांगवा, ओर अन्य ग्रामीण क्षेत्रों से सेकंडों कुंडल सोयाबीन की फसल ट्रैक्टरों वाहनों मेंले कर किसान खवासा पहुंच रहे हैं। सरकार ने किसानों कि सोलीयत के लिए लाखों की लागत से उपजमंडी का निर्माण कराया था। लेकिन कर्मचारियों की लापरवाही और नियमित नीलामी प्रक्रिया न होने से मंडी कागज़ों पर चालू है, ज़मीनी स्तर पर बंद।

किसानों को नहीं मिल रही सरकारी योजनाओं की जानकारी मंडी बंद रहने से किसानों को न केवल उचित मूल्य से वंचित रहना पड़ रहा है, बल्कि उन्हें सरकारी समर्थन मूल्य योजना, बीमा या अनुदान संबंधी जानकारी भी नहीं मिल रही।कई किसान अनभिज्ञता में अपनी उपज निजी व्यापारियों को औने–पोने दाम में बेचकर घर लौट रहे हैं।

किसान सुल्तान कटारा ने कहा

सरकार कहती है किसानों को सहूलियत मिलेगी, लेकिन जब मंडी ही बंद हो, तो सहूलियत कहां, मजबूरी में हमें मंडी के बहार निजी व्यापारियों को उपज बेचनी पड़ रही है।

किसान सेलसिंग वसुनिया हम सुबह सोयाबीन भरकर लाए, पर मंडी के गेट पर ताला देखकर वापस लौटना पड़ा।

किसान अमरसिंह गरवाल ने कहा पास के गांव बामनिया मंडी में दुर दुर से किसान फसल बेचने आ रहे हैं। और खवासा मंडी में पूरी मंडी में घूम के देख लो एक सोयाबीन का दाना बिखरा हुआ नहीं मिलेगा।

खवासा मंडी कर्मचारी मिथ्थूसिंग बारिया ने कहा अभी शनिवार रविवार को नीलामी की गई थी।

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