कारखानों का प्रदूषण प्रकृति में घोल रहा है जहर, पॉल्यूशन बोर्ड सोया कुंभकरणी नींद…!

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मेघनगर@मुकेश सोलंकी
झाबुआ जिले का औद्योगिक क्षेत्र मेघनगर क्षेत्र वासियों के साथ-साथ प्रकृति के लिए घातक सिद्ध होते हुए अभिशाप बन गया है। एक ऐसा अभिशाप जिससे मुक्ति दिलाने में शासन, प्रशासन, विपक्ष कोई भी सक्षम नजर नहीं आ रहा है।
सत्ताधारी पक्ष के कई नेता मेघनगर में अनेक बार कारखानों का निरीक्षण करके कारखानों से होने वाले प्रदूषण से मुक्त करने का आश्वासन देकर चले गए, कुछ माह पूर्व कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की अगुवाई में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं झाबुआ विधायक के साथ सैकड़ो नागरिकों की उपस्थिति में विरोध प्रदर्शन किया गया था और क्षेत्र वासियों को प्रदूषण बोर्ड की ओर से विश्वास दिलाया गया था की 2 महीने में क्षेत्र प्रदूषण मुक्त कर देंगे , लेकिन आज भी क्षेत्रवासी जहरीले वातावरण में सांस लेने को मजबूर है। केमिकल कारखानों से निकलने वाला खतरनाक प्रदूषित जल जलाशयों को गहरे लाल रंग में परिवर्तित कर रहा है लेकिन प्रदूषण बोर्ड के अधिकारी इस मुद्दे पर सरकार को गलत जानकारी प्रेषित कर रहे हैं और इसी के चलते क्षेत्र के विधायक द्वारा विधानसभा में मामला उठाया गया तो मोहन सरकार द्वारा क्षेत्र में किसी भी तरह का कोई प्रदूषण नहीं है कहते हुए प्रदूषण बोर्ड से प्राप्त भ्रमित जानकारी साझा कर दी।
नगर के रोड ओवर ब्रिज पर तो सुबह एवं शाम के समय वायू प्रदूषण अपने चरम पर होता है क्योंकि केमिकल कारखानों से निकला धुंआ दृष्टि को बाधित कर देता है एवं सांस लेने में कठिनाई महसूस होती है, इस खतरनाक प्रदूषण के चलते क्षेत्र के कई लोग गंभीर रोगों से ग्रसित हो चुके हैं साथ ही वन्य जीवों एवं फसलों को भी नुकसान हो रहा है जिसकी सूचना अनेकों बार शासन- प्रशासन तक पहुंचाई जा चुकी है लेकिन कार्यवाही के नाम पर कारखाना को मात्र चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है।



