
#Jhabuahulchul
रायपुरिया@राजेश राठौड़
शुभ मुहूर्त में क्षेत्र की सुहागिन महिलाएं पीपल वृक्ष के नीचे दशा माता की पूजा-अर्चना करने एकत्रित हुईं। इस व्रत को घर की दशा सुधारने, पति की लंबी उम्र तथा परिवार में सुख-शांति व समृद्धि बनाए रखने के लिए किया जाता है।
पीपल वृक्ष की पूजा एवं व्रत की परंपरा
महिलाएं नए वस्त्र व आभूषण धारण कर, पूजा की थाली और जल का लोटा हाथ में लेकर पीपल वृक्ष की पूजा के लिए पहुंचीं। परंपरा के अनुसार, वृक्ष के चारों ओर सूत का धागा बांधने के बाद उसे दस गांठ लगाकर गले में धारण किया जाता है, जिससे अखंड सौभाग्य की कामना की जाती है।
कथा व अन्न उत्पादन का प्रतीकात्मक अनुष्ठान
गांव के पंडित द्वारा दशा माता की कथा सुनाई गई। पूजा-अर्चना के पश्चात महिलाएं प्रतीकात्मक रूप से छोटे-छोटे खेत बनाकर गेहूं, चना और मक्का की बुवाई करती हैं, जिससे यह विश्वास बना रहे कि माता दशा की कृपा से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी।
लक्ष्मी पूजन एवं घर की सजावट
इस अवसर पर पांच नई झाड़ूओं की पूजा कर मां लक्ष्मी का वास सुनिश्चित करने की परंपरा भी निभाई गई। घरों के मुख्य दरवाजे के दोनों ओर हल्दी के छापे लगाए गए, जो शुभता और समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं। पुजा किया हुआ जल घर आंगन में छीटा जाता ताकि सकारात्मक बनी रहे
नवविवाहिताओं का पहला व्रत
इस वर्ष नवविवाहिताओं ने पहली बार दशा माता का व्रत धारण किया। उन्होंने अपने सास-ससुर का आशीर्वाद लिया और अखंड सौभाग्य की प्रार्थना की। व्रत के दौरान सभी सुहागिनों ने पूरे दिन उपवास रखा और पूरे श्रद्धा भाव से पूजा संपन्न की।