झाबुआपेटलावद

झाबुआ से दिल्ली तक गूंजी वनवासी हितों की आवाज , राष्ट्रीय अध्यक्ष रादु सिंह भाभर ने श्रम मंत्रालय को सौंपा ज्ञापन…!

#Jhabuahulchul 

झाबुआ/पेटलावद डेस्क। वनवासी एवं ग्रामीण मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रादु सिंह भाभर ने सोमवार को नई दिल्ली स्थित श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को वनवासी समुदायों के हितों से जुड़ा विस्तृत ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन केंद्रीय मंत्री मानसुख मांडविया को संबोधित किया गया। इसमें जनजातीय क्षेत्रों के आर्थिक विकास, रोजगार, विस्थापन, पुनर्वास और सामाजिक समस्याओं से जुड़ी महत्वपूर्ण मांगें रखी गईं। वनांचल में रोजगार आधारित शिक्षा की मांग ज्ञापन में कहा गया कि देश भले तेजी से विकसित हो रहा है, लेकिन वनांचल की पांच करोड़ से अधिक आबादी आज भी रोजगार के लिए पलायन को मजबूर है। संघ ने रोजगार आधारित शिक्षा के विस्तार, स्थानीय संस्कृति को ध्यान में रखते हुए तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने, कौशल विकास केंद्र खोलने और वन उपज आधारित लघु उद्योगों की स्थापना की मांग की।विस्थापन और पुनर्वास पर चिंता ज्ञापन में विकास कार्यों के चलते वनांचल क्षेत्रों में हो रहे विस्थापन पर चिंता जताई गई। संघ ने पुनर्वास नीति लागू करने, विस्थापित परिवारों को कृषि योग्य भूमि व पर्याप्त मुआवजा देने, उद्योगों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता से रोजगार और CSR राशि का उपयोग स्थानीय विकास के लिए करने की मांग की।

राज्यों से जुड़े स्थानीय मुद्देबुलढाणा (महाराष्ट्र): टाइगर प्रोजेक्ट विस्थापन से प्रभावित 402 परिवारों को अब तक मुआवजा व सुविधाएं नहीं मिलीं। उच्च न्यायालय के आदेश अनुसार बकाया मुआवजा दिलाने की मांग की गई।

पावरा जनजाति (महाराष्ट्र): पिछले 20 वर्षों से जाति प्रमाण पत्र नहीं मिलने की समस्या उठाई गई। पात्र लोगों को प्रमाण पत्र जारी करने की मांग की गई।

मध्य प्रदेश: गोंड–खेरवा समुदाय को पुनः जनजाति वर्ग में शामिल करने की मांग की गई, जिन्हें पहले सूची से बाहर कर दिया गया था। खेतिहर श्रमिकों के लिए सुरक्षा कवच ज्ञापन में खेतिहर मजदूरों के लिए बीमा पॉलिसी लागू कर आकस्मिक मृत्यु की स्थिति में परिवारों को आर्थिक सुरक्षा देने का प्रस्ताव रखा गया।वन उपज पर स्थानीय अधिकार संघ ने मांग की कि वन उपज के व्यापार का अधिकार स्थानीय समितियों को दिया जाए, ताकि वनवासी उत्पादकों को उचित मूल्य मिल सके और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके। भाभर ने कहा कि यदि इन मांगों पर सरकार गंभीरता से कदम उठाती है, तो वनवासी समुदायों के जीवन में समग्र परिवर्तन और आर्थिक स्थिरता आ सकती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!