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बाजार में राखी की रौनक: नारियल संग भाई-बहन के प्रेम की चमक।

रायपुरिया@राजेश राठौड़

रक्षाबंधन के पर रायपुरिया के गांव का बाजार एक बार फिर सजीव हो उठा है। रंग-बिरंगी राखियों की दुकानों के साथ-साथ नारियल की मांग ने बाजार को उत्सव का रूप दे दिया है। यहां की परंपराएं आज भी जीवंत हैं, अंचल की बहनें इन्हें पूरी श्रद्धा से निभा रही हैं।

नारियल की परंपरा बनी भावनाओं की डोर

गांव की बहनें रक्षाबंधन पर सिर्फ राखी नहीं, बल्कि श्रीफल भी खरीदती हैं — वह भी हर घर के सदस्य के लिए। चाहे भाई हो, भतीजे हो या कोई अन्य प्रियजन, नारियल उनके लिए शुभता और प्रेम का प्रतीक है। इस वर्ष नारियल की कीमत ₹30 तक पहुंच गई है, लेकिन महंगाई का असर इन भावनाओं पर नहीं पड़ा। बहनों की श्रद्धा और प्रेम में कोई कमी नहीं आई।

महंगाई के दौर में भी नहीं टूटा प्रेम का बंधन

बाजार में राखियों की चमक देखते ही बनती है। बहनें अपने भाइयों के लिए सबसे सुंदर राखी चुनने में व्यस्त हैं — ताकि रेशम के धागे में बंधा उनका प्यार भाई की कलाई पर सदा चमकता रहे। हर राखी में एक कहानी है, नारियल में एक आशीर्वाद।

 रक्षाबंधन: सिर्फ एक पर्व नहीं, एक भावना 

इस बार का रक्षाबंधन गांव के लिए सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि भाई-बहन के अटूट प्रेम की मिसाल बन गया है। बाजार की चहल-पहल, दुकानों की सजावट और लोगों की मुस्कानें इस बात की गवाही दे रही हैं कि परंपराएं आज भी दिलों में जीवित हैं।

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