खवासाझाबुआथांदलाबामनिया

अजब हुआ,,गजब हुआ,,जब नेता ही बने ठेकेदार,,तो भ्रष्टाचार होगा शानदार,,,सुपुर्दगी से पहले ही 3.33 करोड़ की छात्रावास बिल्डिंग में आई दरारें..!

#Jhabuahulchul 

बामनिया/थांदला@जितेंद्र बैरागी✍🏻

3 करोड़ 33 लाख की लागत से बनी बिल्डिंग छात्रवास खुद अपने अस्तित्व पर सवाल खड़े कर रहा है।

थांदला विकासखंड की नारेला ग्राम पंचायत में करीब ₹3 करोड़ 33 लाख की लागत से बन रहा शासकीय सीनियर बालिका छात्रावास अब सवालों के घेरे में है।

अभी निर्माण पूरा भी नहीं हुआ, सुपुर्दगी भी बाकी है। लेकिन इमारत में जगह-जगह दरारें दिखाई देने लगी हैं। सबसे हैरानी की बात यह है कि जिस कॉलम पर पूरी बिल्डिंग की मजबूती टिकी होती है, उन्हीं कॉलमों में दरारें आ गई हैं।

 

सूत्रों की मानें तो निर्माण में कई जगहों पर मानक और गुणवत्ता को ताक पर रखकर काम किया गया है। कुछ हिस्सों में तो सीधे मोरम की सतह पर ही निर्माण कर दिया गया है, जो नियमों के विरुद्ध है।

हादसों को न्योता देती इमारत…

जिस भवन को सालों-साल तक टिकाऊ और सुरक्षित रहना था, उसकी यह हालत निर्माण के दौरान ही हो गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि कुछ वर्षों बाद इस भवन की स्थिति क्या होगी। क्या यह एक और भ्रष्ट निर्माण का उदाहरण बनकर नहीं रह जाएगा।

जनता पूछ रही सवाल…

क्या ठेकेदार पर होगी कोई कार्रवाई‌

संबंधित विभाग और इंजीनियरिंग टीम की ज़िम्मेदारी तय होगी।

निर्माणाधीन बिल्डिंग को देखकर लगता, नेताओं और अफसरों की मिलीभगत से हुआ यह खेल। अब देखना यह है कि शासन-प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है, या फिर यह मामला भी चुपचाप दबा दिया जाएगा।

इस विषय में एस डी ओ,पी आई यू मनोहर वसुनिया से चर्चा की…

सवाल किया कई जगह से दिवार मैं दरारें आ चुकी है। जवाब दिया सीसीटीवी केबल ढूंढने के लिए। जबकि जहां सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। वहां ओपन वायरिंग की गई है।

यह बिल्डिंग बहुत कमजोर है, कभी हादसे का जिम्मेदार कौन।

जवाब मे कहा तिन साल की ठेकेदार की गारंटी है। फिर कुछ हादसा होता है तो उसकी जिम्मेदारी सरकार लेगी। मतलब करोड़ों के बिल्डिंग सरकार बनाएं। और इंजीनियर और ठेकेदार की मिली भगत से भ्रष्टाचार की भेट चढे तो। हादसे के शिकार हुई गरीब जनता को मुआवजा भी सरकार दे।

गजब,,,मतलब साफ है,, भ्रष्टाचार कोई करें और मुआवजा दे सरकार जान जाए गरीब की और जेब भरे जिम्मेदार,,?

निर्माण सामग्री मोजुदगी मटेरियल बहुत घटिया क्वालिटी का है। अरे बिल्डिंग तैयार हो चुकी है।यह मटेरियल वेस्ट है। जबकि देखने पर साफ प्रतीत हो रहा है। मटेरियल क्वांटिटी अधूरी। जो कि उपयोग किया गया।

सारे सवालों के जवाब नहीं केवल बचाव की कोशिश लगती है। सुबह फोन पर किए गए सवाल। दोपहर तक इन दरारों में पहुंच गई पुट्टी।,,, भ्रष्टाचार इतना बड़ा है केवल पुट्टी से नहीं ढक सकते।

सरपंच ने पहले ही चेताया था,,,बयान भी आंखें खोलने वाला..!

ग्राम पंचायत नारेला सरपंच बालू वसुनिया ने कहां। बिल्डिंग जब से बन रही थी, जब ही बोला मटेरियल अच्छी क्वालिटी नहीं है। और पूरे भवन में तरी बिल्कुल नहीं करी गई है। इसकी शिकायत विधायक सांसद, अधिकारी से भी करी। किसी ने नहीं सुनी। इंजीनियर तो मेरी बात का मजाक बनता था।

अब सवाल यह उठता है।

ईट ईट में घुसा भ्रष्टाचार,,सरकार इस खेल को गंभीरता से लेती है या फिर सब चुप चाप की स्कीम लागू होगी।

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