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श्रद्धा, भक्ति और आस्था का प्रतीक: रायपुरिया में गल एवं चुल मेले का आयोजन…!

#Jhabuahulchul 

रायपुरिया@राजेश राठौड़

ग्राम रायपुरिया में हर वर्ष की तरह इस बार भी श्रद्धा, भक्ति और विश्वास से भरा गल एवं चुल मेला आयोजित किया गया। इस मेले में हजारों श्रद्धालु पहुंचे और मन्नतधारियों ने अनोखे रीति-रिवाजों के साथ अपनी आस्था व्यक्त की।

मन्नतधारियों ने दहकते अंगारों पर चलाई नंगे पांव…

मेले की सबसे बड़ी विशेषता रही गल और चुल की रस्म, जिसमें श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने पर अनोखी विधियों से पूजा-अर्चना करते हैं। इस दौरान मन्नतधारी नंगे पैर दहकते अंगारों पर चलते हैं, लेकिन उनके पैरों पर कोई खरोज तक नहीं आती।

गल की अनूठी परंपरा…

गल की रस्म के दौरान श्रद्धालु पहले गल बाबाजी की परिक्रमा करते हैं, फिर ढोल, मंढल और थाली की खनक के बीच नृत्य करते हुए पूजा-अर्चना करते हैं। इसके बाद मन्नतधारी गल पर सवार होते हैं, जो एक विशेष संरचना होती है—

गल चार ऊँचे खंभों पर आधारित एक मचान पर स्थित होता है।

बीच में एक ऊँचा खंभा होता है, जिस पर एक लंबी लकड़ी बंधी होती है।

मन्नतधारी को इस लकड़ी से उल्टा बांधकर घुमाया जाता है।

यह प्रक्रिया पांच बार घुमाने के साथ पूर्ण होती है।

हिंगलाज माता की चुल पर महिलाओं की अग्नि परीक्षा

महिलाओं के लिए हिंगलाज माता की चुल विशेष महत्व रखती है। यह पांच फीट लंबी होती है, जिसमें लकड़ी और अंगारे सुलगते रहते हैं। श्रद्धालु महिलाएं इस पर नंगे पांव चलकर माता से अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करती हैं।

गांव जामली से आईं श्रद्धालु विष्णु बाई ने बताया कि उनकी बहू को संतान नहीं हो रही थी, तब किसी ने उन्हें चुल माता की मन्नत लेने की सलाह दी। उन्होंने मन्नत मांगी और जब उनके घर लड़का हुआ, तो वे इस बार अपनी मन्नत उतारने आईं।

ग्रामीणों का उमड़ा जनसैलाब…

मेले में हजारों ग्रामीण पहुंचे, जबकि इस दौरान सभी आवागमन के साधन बंद रहते हैं। इसके बावजूद श्रद्धालु मीलों पैदल चलकर मेले में शामिल होते हैं। झूले, खेल-तमाशे और पारंपरिक लोकगीतों से मेले में उत्सव का माहौल बना रहा।

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