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#Jhabuahulchul
मेघनगर@मुकेश सोलंकी
मामला मेघनगर के औद्योगिक क्षेत्र से छोड़े जाने वाले दूषित जल को लेकर है जो की उद्योगों द्वारा ईटीपी प्लांट में न देकर नदी – नालों में बेख़ौफ़ होकर छोड़ा जा रहा है छोटे-छोटे नालों से बहता हुआ यह दूसरी जहर मेघनगर के वन क्षेत्र में होता हुआ नदियों में मिल जाता है नदियां खराब करने के साथ-साथ यह दूषित जल आसपास के खेतों की जमीन को भी बंजर कर रहा है। गर्मी शुरू हो जाने की वजह से नालों में बहने वाला पानी अब सूख चुका है उसके स्थान पर सिर्फ केमिकल उद्योगों द्वारा छोड़ा जाने वाला प्रदूषित जल ही दिखाई दे रहा है जिसे प्यास बुझाने हेतु मजबूरन वन्य प्राणी पी लेते हैं , बेजुबान वन्य प्राणियों द्वारा इस जल को पीने से उनके भी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है ।
जिला वन क्षेत्र अधिकारी से चर्चा करने पर उन्होंने कार्रवाई करने की बात कही।
वहीं पशु चिकित्सक डॉक्टर गौड़ ने बताया कि इस तरह का दूषित जल पीने से पशुओं में अति गंभीर रोग हो सकते हैं।