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पेड़ों और प्रकृति के संकेत: बुजुर्गों की पारंपरिक ज्ञान परंपरा…!

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रायपुरिया से राजेश राठौड़ की विशेष रिपोर्ट…

प्रकृति के संकेत: फसल का पूर्वानुमान..

रायपुरिया के बुजुर्ग किसानों का मानना है कि पेड़ों और प्रकृति के संकेतों से फसलों की स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है। क्षेत्र के पुराने पेड़ जैसे नीम, पीपल, बबूल और आम, आज भी किसानों के लिए मौसम और फसल से जुड़े संकेत देते हैं।

गांव के रतनलाल पाटीदार बताते हैं कि जब आम के पेड़ों पर मोर अधिक मात्रा में आते हैं, तो यह संकेत है कि गेहूं और चने की फसल अच्छी होगी। इस वर्ष भी पेड़ों पर समय से पहले मोर आए, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि गेहूं की फसल भरपूर होगी।

बारिश और मौसम का अंदाज़ा…

बुजुर्गों के अनुसार, जिस वर्ष आम के पेड़ों पर मोर अधिक आते हैं, वह साल बारिश और फसल के लिहाज से बेहतर होता है। इस बार बसंत पंचमी से पहले ही मोर दिखने लगे, जिसे वे अधिक मास के कारण मानते हैं। रतनलाल पाटीदार का कहना है कि यह घटना तीन साल में एक बार होती है, जब समय संतुलन के लिए अधिक मास जोड़ा जाता है।

परंपरागत ज्ञान की महत्ता…

बुजुर्ग किसानों का यह ज्ञान वर्षों के अनुभव पर आधारित है। यह न केवल कृषि के लिए उपयोगी है, बल्कि पर्यावरण और मौसम विज्ञान के पारंपरिक पहलुओं को समझने में भी सहायक है। पेड़-पौधों के साथ यह गहरा जुड़ाव पीढ़ियों तक सहेजने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष…

प्रकृति के संकेतों को समझने की यह परंपरा आधुनिक विज्ञान के साथ मिलकर बेहतर कृषि और पर्यावरण संतुलन बनाने में योगदान दे सकती है। रायपुरिया के बुजुर्गों की यह ज्ञान धरोहर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा है।

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