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महावीर समिति ने किया मेहता दंपति का बहुमान ओलिजी तपस्या के दौरान समग्र जैन समाज ने दिखाया उत्साह:- संजय व्होरा

पेटलावद@डेस्क रिपोर्ट 
नगर में नवपद ओलिजी की अलख जगाने वाले समाजसेवी अशोक मेहता के प्रयासों से समग्र जैन समाज में तपस्या की धूम मची है। इनके सद्कार्यों की जितनी अनुमोदना की जाए कम है। तप से कर्मों की निर्जरा होती है, और जो तप में सहायक होते है यह उनके पुण्योदय का ही फल है। यह बात महावीर समिति के अध्यक्ष संजय व्होरा (पप्पू भाई) ने श्री मेहता दंपति के बहुमान के अवसर पर कही।  उल्लेखनीय है कि नगर में पिछले चार वर्ष पूर्व नवपद ओलिजी की शुरुआत हुई है। तभी से श्री मेहता दंपति अपने दोनों पुत्र विमल और विपुल के साथ यहां सेवा मे लगे हुए है। ओलिजी के समापन पर आर आर ग्रुप द्वारा मांगलिक भवन में सामूहिक पारने
एवं नवकारसी का आयोजन किया गया। ओलिजी तपस्या के दौरान नगर के कई परिवारों ने लाभार्थी बनकर अपनी सेवाएं दी। आयोजन में समस्त समाज जनों की मौजूदगी में मेहता दंपति का बहुमान किया गया। इस मौके पर महावीर समिति के अध्यक्ष संजय व्होरा, उपाध्यक्ष द्वय संजय मालवी, चेतन, सचिव विजय , मीडिया प्रभारी संजय पी लोढ़ा भी मौजूद रहे।
तप की महिमा 
श्री नवपद ओली के दौरान जैन धर्मावलंबी आयंबिल तप भी करते हैं। आयंबिल तप करने वाले लोग दिन में एक बार खाना खाते हैं, उबला हुआ पानी पीते हैं और दूध, दही, घी, तेल, चीनी/गुड़ और तले हुए खाद्य पदार्थों के बिना पकाए गए ‘स्वादिष्ट’ माने जाने वाले खाद्य पदार्थों को खाने से बचते हैं। आयंबिल जैन धर्म में बाहरी तप का एक प्रकार है, जिसे वैज्ञानिक रूप से मन, शरीर और आत्मा को लाभ पहुंचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आयंबिल स्वाद को नियंत्रित करने की तपस्या है। आयंबिल का व्रत स्वाद पर विजय प्राप्त करके आध्यात्मिक उत्थान प्राप्त करने और कर्म बंधन से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है।आयंबिल आहार एक तरह से विषहरण है। आयंबिल ओली के इन नौ दिनों के दौरान, नवपद या सिद्धचक्र आराधना के सम्मान में पूजा, पवित्र पाठ, ध्यान और अन्य अनुष्ठान किए जाते हैं।

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