झाबुआ

मकर संक्रांति नज़दीक, दुकानों पर बिकता मौत का मायाजाल, जिले में मौत का मांझा कागजों में बैन, ज़मीनी हकीकत कुछ और.?..धड़ल्ले से होती चोरी-छिपे बिक्री, सवाल यह है कि आदेश के बाद करवाई होगी या कलेक्टर मैडम के आदेश की हवा हवाई…?

#Jhabuahulchul 

झाबुआ@आयुष पाटीदार/जितेंद्र बैरागी 

मकर संक्रांति का उल्लास भले ही लोगों में अभी से दिखाई देने लगा हो और बाजारों में रंग-बिरंगी पतंगों की दुकानें सजने लगी हों, लेकिन इसी उत्साह के बीच एक गंभीर खतरा भी तेजी से पनप रहा है—चाइनीज मांझा, जो हर साल कई लोगों और बेज़ुबान पशु-पक्षियों की जान लेता आ रहा है।

जिले में मौत का यह मांझा गुपचुप तरीके से दुकानों पर पहुंचना शुरू हो चुका है। प्रशासन की ओर से बिक्री रोकने के आदेश हर वर्ष की तरह इस बार भी सिर्फ कागज़ों तक ही सिमटे हुए दिखाई दे रहे हैं। जैसे ही त्यौहार नजदीक आता हैं प्रशासन तत्काल आदेश जारी कर देता है अब सवाल यह है कि धरातल पर न तो कोई विशेष निगरानी दिख रही है और न ही रोकथाम के ठोस कदम।

मानले जिले में चाइना डोर बैन है दुकानों पर नहीं, लेकिन सवाल यह है कि पतंगों पर जानलेवा चाइना डोर कैसे इस्तेमाल हो रहा है और यह आ कहाँ से रहा है। देखा जाए तो कटी हुई पतंग को हाथ में लेकर देखेंगे तो चाइना मांझा ही दिखाई देगा।

घटनाओं के बाद ही क्यों जागेगा प्रशासन…?

पिछले वर्षों की बात करें तो झाबुआ में इस खतरनाक केमिकलयुक्त मांझे से कई दुर्घटनाएं सामने आई हैं। बाइक सवारों की गर्दन कट जाने से लेकर पक्षियों के पंख कटने तक—यह मांझा मौत का जाल साबित होता रहा है।

लोगों का कहना है कि जब तक कोई बड़ी घटना न हो जाए, तब तक प्रशासन की नींद नहीं खुलती।

धड़ल्ले से होती चोरी-छिपे बिक्री…

मकर संक्रांति से पहले प्रशासन दुकानदारों को रोक लगाने की चेतावनी देता है। लेकिन जैसे ही जांच दल हटता है, दुकानदार दाम बढ़ाकर यही मांझा बेचते हैं। बच्चों और युवाओं की मांग सबसे ज्यादा इसी मांझे की रहती है, क्योंकि यह ज्यादा मजबूत और दूर तक उड़ने में सहायक होता है। पर यही मजबूती हादसों का कारण बन जाती है।

पशु-पक्षियों के लिए जानलेवा…

हर साल सैकड़ों पक्षी इस मांझे की चपेट में आकर घायल हो जाते हैं। कई की तो मौके पर ही मौत हो जाती है। पशु प्रेमियों के लिए यह सबसे चिंताजनक पहलू है। आसमान में उड़ने वाली खुशियों की पतंगें, किसी बेज़ुबान पर मौत बनकर गिरें—यह त्योहार की भावना पर ही बड़ा सवाल है।

झाबुआ हलचल की अपील…

आपकी डोर किसी का घर न उजाड़ दे,,,आपकी बेपरवाही किसी परिवार की खुशियों पर भारी पड़ सकती है।

एक तेज मांझा—एक वार—और जिंदगी की डोर खत्म,,पतंग जरूर उड़ाएं, मगर ज़िम्मेदारी के साथ किसी की जान काटने वाली डोर नहीं सुरक्षित मांझा ही अपनाएं।

वहीं प्रशासन तुरंत प्रभाव से सख्त कार्रवाई करे, दुकानों की जांच बढ़ाई जाए, और साथ ही बच्चों और अभिभावकों को भी जागरूक किया जाए कि वे इस खतरनाक मांझे का उपयोग न करें।

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