झाबुआ जनपद के बलोला गांव में आज सुबह एक ऐसी घटना देखने को मिली,,,,जिसने पूरे इलाके का ध्यान अपनी ओर खींच लिया,,गांव का माहौल बदला हुआ था और लोग इसे अपने लिए एक खास दिन बता रहे थे,,,पढ़िए पूरा मामला क्या है…?

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झाबुआ@हरीश यादव
बलोला पंचायत में सुबह से ही हलचल दिख रही थी। गांव के रास्तों से लेकर हनुमान मंदिर तक हर जगह उत्सुकता, तैयारी और अलग तरह की ऊर्जा महसूस की जा सकती थी। ग्रामीणों का कहना था कि आज उनका गांव किसी पुरानी पहचान को दोबारा थामने जा रहा है।
इसी माहौल के बीच 5 परिवारों के करीब 40 लोगों ने ईसाई धर्म छोड़कर स्वेच्छा से हिंदू धर्म को अपनाने का फैसला किया। सामूहिक तौर पर की गई इस घर-वापसी के दौरान मंदिर परिसर मंत्रोच्चार, नारे और भावनाओं से भरा हुआ था।
परिवारों ने बताया कि कुछ साल पहले बीमारी, परिस्थितियों और भ्रम की वजह से वे अपनी राह से हट गए थे। लेकिन अब उन्हें लगा कि वे अपनी जड़ों की ओर लौटना चाहते हैं और इसलिए उन्होंने यह निर्णय स्वेच्छा से लिया।
माड़िया पिता जुबानसिंह टोकरियां, जितेंद्र पिता डूंगरसिंह सिंगाड, कमु पिता गुलसिंग बारिया, शंकर पिता रमेश सिंगाड और पिदु पिता भुरू डामोर। ये पांचों परिवार एक ही मंच पर पहुंचे और औपचारिक रूप से हिंदू धर्म को अपनाया।
गांव के लोगों ने इसे सिर्फ धार्मिक घटना के रूप में नहीं देखा, बल्कि अपनी सांस्कृतिक चेतना और परंपरागत पहचान के पुनर्जागरण की तरह महसूस किया। कई ग्रामीणों ने इसे बलोला का गौरव दिवस कहा।
बलोला गांव की यह सामूहिक घर-वापसी पारा क्षेत्र ही नहीं, बल्कि पूरे झाबुआ जिले में दिन की सबसे चर्चा वाली घटना बन गई है।





