हिन्दू धर्म को बचाना है तो शास्त्र में लिखी संस्कृत भाषा का ज्ञान जरूरी है,,,भोजशाला आंदोलन प्रमुख – गोपाल शर्मा ने कहा..!

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पेटलावद डेस्क। जहाँ संस्कृत है वही संस्कृति है आजकल अपनी मूल भाषा से बच्चो को दूर करते जा रहे है। जब तक हिन्दू धर्म के शास्त्र में लिखी संस्कृत भाषा का ज्ञान नही होगा तब तक धर्म को बचा पाना मुश्किल होगा। शास्त्रों को पढ़ने के लिए भाषा ज्ञान बहुत जरूरी है।
यह विचार धार भोजशाला आंदोलन प्रमुख गोपाल शर्मा ने व्यक्त किए। आप पेटलावद से भोजशाला दर्शन के लिए पहुँचे हिंदू जागरण मंच के प्रमुख कार्यकर्ताओ के बीच बोल रहे थे।
आपने कहा हमे संगठित होना होगा और धर्म के लिए जीना होगा। धर्म और संस्कृति की ओर रुख करना पड़ेगा। श्री शर्मा ने कहा हमारी संस्कृति में तीन माँ को श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है जन्म देने वाली माँ, धरती माँ और गौ माता। आपने संकल्प की परिभाषा बताते हुए कहा जहाँ कोई विकल्प नही होता वही संकल्प होता है। आपने स्वदेशी अपनाने पर जोर दिया।
शर्मा ने भोजशाला दर्शन करवाने के पश्चात भोजशाला में पाली भाषा में मां सरस्वतीजी के नाम के साथ ही श्लोकों का उच्चारण करवाया। हिन्दू जागरण मंच के कार्यकर्ता शिलालेखों पर लिखे शब्दों को देखकर बोले यह निश्चित ही राजा भोज की भोजशाला है और हिंदुओं की संस्कृत की पाठशाला ही है।
हिन्दू जागरण मंच के जिला सहसंयोजक प्रकाश प्रजापत ने बताया भोजशाला पूर्ण रूप से देखने के बाद में यह पक्की बात है कि भोजशाला हिंदू समाज की ही है, थी और हिंदू समाज की ही रहेगी। भोजशाला को मुक्त करने के लिए वर्षों से हिंदू जागरण मंच द्वारा कार्य किया जा रहा है। हिंदू समाज को भोजशाला मिले इसके लिए मुख्यमंत्री ने भी मां वाग्देवी की प्रतिमा लंदन से लाने के लिए घोषणा की है। उसे याद दिलाने के लिए भी कार्य होगा।
अखंड ज्योति के भी दर्शन कार्यकर्ताओ ने किए।