सप्ताह की शुरुआत वार से नहीं परिवार से करो: साध्वी श्री ज्योतिषमतिजी…!

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पेटलावद डेस्क। पर्व पर्युषण का हर पल महान बनने की प्रेरणा दे रहा है। जैसे कह रहा है कि हर लहर सागर बन जाए। हर स्वर संगीत बन जाए ओर हर कली फूल बन जाए। तो हर आत्मा महावीर जैसी साधक बन जाए आराधक बन जाए। हमें जीवन भव्य व सुंदर बनाना है पर रंगोली की तरह नहीं जो बनाना जो कि कुछ ही घंटे में मिट जाती है। सप्ताह की शुरुआत वार से नहीं परिवार से करें।
उक्त बातें पर्व पर्युषण के चौथे दिन साध्वी श्री
ज्योतिषमतिजी ने धर्म सभा में कही। आपने मां बेटी के रिश्तों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मां को तीन अवसर पर सावधान रहना चाहिए। एक कोख में आई लड़की के भ्रूण को कभी हत्या नहीं करना चाहिए। ये कृत्य परिवार में अशांति ला देता है। दूसरा अपने क्लब किटी पार्टी व सर्विस की वजह से बेटी को संस्कारों देने में कभी भूल न करें।आज संस्कारों के अभाव में कई बेटियां गलत कार्यों व मार्ग में लग जाती है। तीसरा जब भी ससुराल भेजें यह नए कहे कि सुसराल मे किसी से दबना मत। तेरे लिए हमारा घर हमेशा खुला है। पीहर की यह शह कई परिवारों को तोड़ रही है उजाड़ रही है और तलाक का कारण बन रही है।
पिता सहनशीलता सिखाता है
साध्वी श्री प्रमिलाजी ने पिता के गुणगान करते कहा कि धन तुम कहीं से भी कमा सकते हो पर सहनशीलता पिता ही सिखाता है। पिता धीरज का देवता होता है, शांति का साधक होता है औरखट्टे मीठे पलों में शांति का रखवाला होता है।
साध्वी जी ने फरमाया कि प्रसन्नता का मसीहा खुशी का खजाना पिता होता है । हर यादगार निशान पिता होता है। हमे होश में संभालता है और जीवन मे जोश भरता पिता है। हर मुसीबत में सलामत रखता है पिता । हर मुसीबत में खजाने की चाबी बन जाता है पिता है। अनुभव का भंडार यादों का तराना पिता है। जीवन का पथ प्रदर्शक कहानियों का पिटारा है पिता और ऐसे पिता का हमेशा सम्मान करें। पर्व पर्युषण के अवसर पर 40 से अधिक तेले संपन्न हुए।कई गुप्त तपस्या भी श्रीसंघ में गतिमान है। आज की प्रभावना अशोक कुमार बापूलाल मेहता परिवार की ओर से वितरित की गई।