
#Jhabuahulchul
बामनिया@जितेंद्र बैरागी
बामनिया के समीप एक स्कूल ऐसा भी जहां शिक्षा का मतलब महज एक औपचारिकता बनकर रह गया। यहा कक्षा पहली से पांचवी तक 10 बाय 10 के एक जर्जर कमरे में पढ़ाई करवाई जा रही है। स्थिति ऐसी दिखती है बच्चे पढ़ाई करें या एक दूसरे का मुंह देखे। यदि शिक्षक को अंतिम पंक्ति में बैठे बच्चों के पास जाने के लिए कई काफी किताबों पर पाव लगाते हुए पहुंचते हैं।
थांदला विकासखंड के ग्राम रतनपाडा में शिक्षा का मजाक बनता है। जहां 100 वर्ग फुट में 5 कक्षा सिमटी हो। ना जगह, ना संसाधन,ना शौचालय, ना शिक्षक को पढ़ाने की जगह। वहा शिक्षा नहीं सिर्फ खानापूर्ति हो रही। जो की आदिवासी बच्चों के भविष्य साथ से खिलवाड़ है।
बिजली नहीं फिर भी 26070 का नोटिस।
रतन पड़ा स्कूल की एक और चौंकाने वाली बात सामने ही है। स्कूल अपनी बदहाली पर तो आंसू भाई रहा है। वहीं विद्युत विभाग से 26,070 रुपए का जुलाई माह में एक नोटिस भेज कर बकाया राशि। 7 दिन के भीतर देने को कहा। इस विषय में शिक्षक वरसिंग मुनिया से चर्चा करने पर बताया गया। वर्तमान में ना बिजली कनेक्शन है, ना बिजली से चलने वाले कोई उपकरण मौजूद है शाला में।
जन प्रतिनिधि गुड्डू मुनिया ने कहा एक छोटे से कमरे में कक्षा पहली से पांचवी तक पढ़ाई हो ही नहीं सकती। आदिवासी बच्चों के भविष्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ हो रहा है। ऐसा नहीं बोलना चाहिए परंतु। एक निजी विद्यालय के टॉयलेट से भी कम जगह में बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हो रह हैं।
खवासा विद्युत विभाग जेई मुकेश परमार का कहना है। सभी स्कूलों के कनेक्शन हुए हैं। तीन-चार साल से बकाया चल रहा है। मेरी पोस्टिंग के पहले का मामला है। मिनिमम बिल सिएल का चल रहा होगा और पेनल्टी लगी होगी। वहां पर चुनाव के बुथ भी है। तो बिजली तो चाहिए ही होगी। बकाया राशि के नोटिस पहले भी दिए जा चुके हैं। ऐसा कुछ है तो भी सूचना देनी चाहिए।
थांदला बीईओ दीपेश सोलंकी ने बताया अतिरिक्त कक्ष की मांग की गई है। बिजली विभाग से मिले नोटिस की जानकारी प्राचार्य शिक्षक के द्वारा अभी तक मुझे नहीं दी गई।