आनंद सभा में संवाद, स्नेह और मानवीय मूल्यों का सुंदर समागम,,,सेकेंडरी स्कूल कंजावनी में विद्यार्थियों ने जाना संवाद का सच्चा अर्थ, लिया नशामुक्ति का संकल्प..!

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झाबुआ@हरीश यादव
मध्यप्रदेश शासन के आनंद विभाग द्वारा “आनंद सभा” कार्यक्रम के अंतर्गत छात्रों में आत्मिक संतुलन, नैतिक मूल्यों एवं स्नेहपूर्ण संवाद की समझ विकसित करने के उद्देश्य से जिले के सभी शासकीय सेकेंडरी विद्यालयों में साप्ताहिक सभाओं का आयोजन सुनिश्चित किया गया है। इसी कड़ी में 31 जुलाई को शासकीय सेकेंडरी स्कूल कंजावनी में एक प्रेरणादायक आनंद सभा का आयोजन संपन्न हुआ।
इस सभा में विद्यार्थियों, शिक्षकों और अतिथियों ने सहभागिता की, जहां संवाद, विश्वास, सम्मान, सहानुभूति, और आत्मानुशासन जैसे जीवनोपयोगी मूल्यों पर विचार-विमर्श किया गया।
कार्यक्रम की प्रमुख झलकियाँ :
1. संवाद और अभिव्यक्ति की कला:
राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर जगदीश सिसोदिया एवं गुल सिंह गोहिल ने विद्यार्थियों को स्नेहपूर्ण संवाद (Non-Violent Communication) की अवधारणा से परिचित कराया। उन्होंने बताया कि जब हम किसी से संवाद करते हैं, तो हमारा उद्देश्य केवल बात कहना नहीं, बल्कि संबंध बनाना होना चाहिए।
उन्होंने संवाद की चार प्रमुख बातें बताईं:
ध्यानपूर्वक सुनना – बिना बीच में टोके सामने वाले को समझना।
भावनाओं की अभिव्यक्ति – अपनी भावना को आक्रोश के बिना प्रकट करना।
सहानुभूति – दूसरों की स्थिति को समझना और उन्हें मान देना।
शांति और समाधान – किसी भी मतभेद का हल स्नेह और संयम से निकालना।
छात्रों ने समूहों में अभ्यास भी किया, जिसमें उन्होंने एक-दूसरे से सकारात्मक संवाद करने का प्रयास किया।
2. मानवीय मूल्य – विश्वास, सम्मान और स्नेह:
सभा में विश्वास, सम्मान और स्नेह जैसे बुनियादी मूल्यों को छात्र जीवन में आत्मसात करने के महत्व पर चर्चा की गई।
विश्वास – आत्म-विश्वास के बिना कोई भी लक्ष्य संभव नहीं।
सम्मान – परिवार, गुरु, सहपाठी, और समाज का आदर करना जीवन का मूल स्तंभ है।
स्नेह – दूसरों की भावनाओं को समझकर व्यवहार करना ही सच्चा मानवीय गुण है।
शिक्षकों और प्रशिक्षकों ने बच्चों से संवाद के उदाहरण लेकर समझाया कि यह मूल्य केवल किताबों में नहीं, बल्कि रोज़मर्रा के जीवन में कैसे जिए जाते हैं।
3. नशा मुक्ति शपथ :
कार्यक्रम का एक प्रमुख भाग रहा “नशा मुक्त भारत” अभियान के अंतर्गत विद्यार्थियों को नशामुक्ति की शपथ दिलवाना। ट्रेनर्स ने विद्यार्थियों को बताया कि नशा केवल व्यक्ति को ही नहीं, पूरे परिवार और समाज को हानि पहुंचाता है। विद्यार्थियों ने सामूहिक रूप से यह संकल्प लिया कि वे स्वयं नशे से दूर रहेंगे और दूसरों को भी इससे दूर रहने के लिए प्रेरित करेंगे।
4. जिम्मेदारी और नैतिक चेतना का जागरण :
सभा में यह भी चर्चा हुई कि पढ़े-लिखे युवाओं की समाज के प्रति क्या ज़िम्मेदारी है?
‘ज्ञान का उद्देश्य केवल नौकरी पाना नहीं, समाज को दिशा देना भी है।’
छात्रों को बताया गया कि वे चाहे छोटे हों या बड़े, समाज निर्माण की प्रक्रिया में सहभागी हैं। इसलिए :
वे गलत बातों का विरोध करें।
अपने परिवार और गांव में सकारात्मक सोच का प्रसार करें।
स्कूल को एक आदर्श केंद्र बनाएं।
इस पर छात्रों ने पोस्टर, विचार प्रस्तुति और समूह चर्चाओं के माध्यम से अपनी बात रखी।
कार्यक्रम का समापन :
विद्यालय के प्रधानाध्यापक अमर सिंह भूरिया ने सभी छात्रों, अतिथियों, आनंद विभाग, शिक्षकों और सहयोगी स्टाफ का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की गतिविधियाँ छात्रों के सर्वांगीण विकास में सहायक होती हैं और शिक्षा को व्यवहारिक बनाती हैं।
यह आनंद सभा केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक चेतना थी – संवाद से बदलाव की। इस आयोजन ने यह सिद्ध किया कि जब बच्चों को सही दिशा, नैतिक मूल्य और आत्म-संवाद का प्रशिक्षण मिलता है, तो वे न केवल बेहतर विद्यार्थी, बल्कि जिम्मेदार नागरिक बनते हैं।
संवाद, स्नेह और सहयोग ही आनंद की सच्ची कुंजी है — और यही इस आयोजन का सार रहा।