पम्पावती नदी की कलकल और किसानों की खुशी…!

#Jhabuahulchul
रायपुरिया@राजेश राठौड़
यहां रविवार सोमवार की सुबह एक अद्भुत दृश्य लेकर आई। जैसे ही पम्पावती नदी ने अपनी मधुर कलकल ध्वनि में अंचल को सजाया, वैसे ही सावन सेहरे की शुरुआत ने पूरे इलाके को हरियाली और उल्लास से भर दिया। यह मौसम का ऐसा पल था जो सुबह आठ बजे तक दिलों को तरंगित करता रहा।
लोगों के चेहरे पर मुस्कान थी और किसानों के मन में आशा की किरण। दोपहर बाद, जैसे ही शाम साढ़े चार बजे का समय हुआ, मौसम ने अपना रुख बदला और बादलों की घटाओं ने चारों ओर अंधेरा सा फैला दिया। बिजली की चमक और गरज के बीच तेज़ बारिश शुरू हो गई, जो एक घंटे तक लगातार होती रही। इससे नदी-नाले लबालब हो गए और पूरे क्षेत्र में जल का प्रवाह बढ़ गया।
किसानों का मानना है कि इस बारिश ने मक्का, सोयाबीन और कपास जैसी फसलों को नया जीवन दिया है। आठ दिनों के सूखे के बाद ज़मीन को पानी की सख्त जरूरत थी। जैसे ही मौसम ने साथ दिया, किसान अपने खेतों में निदाई और खरपतवार हटाने के काम में लग गए, मानो प्रकृति ने फिर से उनकी मेहनत का साथ दिया हो।
बारिश की यह घड़ी अचानक आई, लेकिन जिस तरह से पूरे वातावरण को संजीवनी दी, वह किसी कविता से कम नहीं थी—जहां धरती मुस्कुराई, किसान खुश हुए और पम्पावती की कलकल ध्वनि ने एक बार फिर मन मोह लिया।