झाबुआ

झाबुआ जिला अस्पताल में पहली बार हुई सफल लैप्रोस्कोपिक एपेंडेक्टोमी,,,आधुनिक तकनीक के माध्यम से जटिल शल्यक्रिया की गई पूर्ण, स्वास्थ्य सेवाओं में नया मील का पत्थर…!

#Jhabuahulchul 

झाबुआ@हरीश यादव 

झाबुआ जिला अस्पताल ने चिकित्सा सेवाओं के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। अस्पताल में पहली बार अत्याधुनिक लैप्रोस्कोपिक तकनीक के माध्यम से एपेंडिक्स निष्कासन (Laparoscopic Appendectomy) की सफल शल्यक्रिया की गई। यह न केवल चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि से एक उपलब्धि है, बल्कि जिले के नागरिकों के लिए एक बड़ा स्वास्थ्य सुरक्षा कदम भी है।

*रोगी का परिचय और प्राथमिक चिकित्सा इतिहास* : शल्यक्रिया 18 वर्षीय लक्ष्मी पिता उदयसिंह निवासी थांदला, जिला झाबुआ पर की गई। लक्ष्मी पिछले कई दिनों से तीव्र उदर पीड़ा, जी मिचलाना और बुखार जैसी समस्याओं से जूझ रही थीं। परिजनों द्वारा तत्काल जिला अस्पताल में लाया गया, जहां विस्तृत जांच के उपरांत तीव्र एपेंडिसाइटिस की पुष्टि की गई।

लैप्रोस्कोपिक पद्धति से ऑपरेशन करने का निर्णय विशेषज्ञ टीम द्वारा रोगी की आयु, लक्षणों की तीव्रता और बेहतर रिकवरी की संभावनाओं के आधार पर लिया गया।

*सर्जरी की प्रक्रिया और विशेषज्ञों की भूमिका*
शल्यक्रिया करीब 2 घंटे 30 मिनट तक चली और इसे अस्पताल की दक्ष और अनुभवी टीम द्वारा अंजाम दिया गया। प्रमुख चिकित्सा विशेषज्ञों में शामिल थे :

*डॉ. दीपक राठौर* — जनरल सर्जन, संचालन प्रमुख

*डॉ. देवेंद्र भायल* — सह-सर्जन

*डॉ. सावन चौहान* — एनेस्थेटिस्ट (निश्चेतना विशेषज्ञ)

ऑपरेशन थिएटर स्टाफ — तकनीकी सहायता और निगरानी

टीम के समन्वित प्रयासों से संपूर्ण प्रक्रिया बिना किसी जटिलता के सम्पन्न हुई। रोगी की वर्तमान स्थिति स्थिर है, और शीघ्र ही उन्हें छुट्टी दिए जाने की संभावना है।

*लैप्रोस्कोपिक सर्जरी :* तकनीकी दृष्टिकोण से समझें

लैप्रोस्कोपिक एपेंडेक्टोमी एक उन्नत शल्यक्रिया पद्धति है, जिसमें छोटे छिद्रों (keyholes) के माध्यम से ऑपरेशन किया जाता है। यह तकनीक पारंपरिक ओपन सर्जरी की तुलना में अधिक प्रभावी और सुरक्षित मानी जाती है। इसके प्रमुख लाभों में शामिल हैं :

*कम चीरा, कम रक्तस्राव*

*न्यूनतम संक्रमण की संभावना*

*कम पीड़ा और दवाओं की न्यूनतम आवश्यकता*

*शीघ्र स्वास्थ्य लाभ और अस्पताल से जल्दी डिस्चार्ज*

*सौंदर्य की दृष्टि से कम निशान*

यह तकनीक अब विश्व भर में अपनाई जा रही है, और झाबुआ जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र में इसकी शुरुआत अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

*झाबुआ जिला अस्पताल के लिए एक बड़ी उपलब्धि :* इस ऑपरेशन के साथ ही जिला अस्पताल झाबुआ ने जटिल सर्जिकल प्रक्रियाओं की दिशा में एक सफल शुरुआत कर दी है। पहाड़ी, ग्रामीण और दूरवर्ती क्षेत्रों में बसे मरीजों के लिए अब महानगरों तक जाना जरूरी नहीं रहेगा। यह पहल स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती देने के साथ-साथ राज्य सरकार की स्वास्थ्य सेवाएं सशक्तिकरण नीति का उत्कृष्ट उदाहरण भी बन रही है।

*चिकित्सकों और प्रबंधन की प्रतिक्रिया :* डॉ. दीपक राठौर ने बताया कि यह ऑपरेशन अस्पताल के लिए एक मील का पत्थर है। हम चाहते हैं कि आने वाले समय में झाबुआ जैसे जिलों में भी बड़ी और जटिल सर्जरी संभव हो सकें। यह टीमवर्क, प्रशिक्षण और तकनीकी संसाधनों की उपलब्धता से संभव हुआ है।

वहीं अस्पताल अधीक्षक ने इसे “स्थानीय स्वास्थ्य प्रणाली की मजबूती और सरकार के डिजिटल हेल्थ मिशन के अंतर्गत एक सशक्त कदम” बताया।

*भविष्य की संभावनाएं :* इस सफल सर्जरी से प्रेरित होकर अस्पताल प्रशासन अब अन्य उन्नत सर्जिकल तकनीकों जैसे कि लैप्रोस्कोपिक गॉल ब्लैडर सर्जरी, हर्निया रिपेयर, और जेनरिक लेप्रोस्कोपिक इंटरवेंशन्स को भी नियमित रूप से शुरू करने की योजना बना रहा है। जल्द ही इसके लिए विशेष प्रशिक्षण शिविर और उपकरण विस्तार की प्रक्रिया भी प्रारंभ की जाएगी।

झाबुआ जिला अस्पताल में सम्पन्न यह लैप्रोस्कोपिक एपेंडेक्टोमी न केवल एक मेडिकल उपलब्धि है, बल्कि यह आशा, विश्वास और आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी बन गई है। इस पहल ने यह सिद्ध कर दिया है कि संकल्प, संसाधन और समर्पण के साथ छोटी जगहों पर भी बड़ी चिकित्सा सेवाएं संभव हैं।

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