कैबिनेट मंत्री निर्मला भूरिया के प्रयासों से झाबुआ को मिली सौगात: 50 सीटर वर्किंग वूमेन हॉस्टल को मिली मंजूरी…!

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झाबुआ@हरीश यादव
झाबुआ जिले की कामकाजी महिलाओं को अब आवास की चिंता से राहत मिलने वाली है। मध्यप्रदेश की कैबिनेट बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय के तहत झाबुआ शहर में 50 सीटों वाले अत्याधुनिक वर्किंग वूमेन हॉस्टल की स्वीकृति प्रदान की गई है। यह निर्णय महिला एवं बाल विकास मंत्री और जिले की कैबिनेट मंत्री निर्मला भूरिया के विशेष प्रयासों से संभव हुआ है।
इस हॉस्टल का निर्माण मिशन शक्ति के तहत संचालित “सखी निवास” योजना के अंतर्गत किया जाएगा। तीन मंजिला इस भवन पर लगभग 664 लाख रुपये की लागत आएगी। इसमें सिंगल, डबल और ट्रिपल शेयरिंग वाले एसी व नॉन-एसी कमरे, मेस, सुरक्षा, चौकीदार, स्पोर्ट्स सुविधा, और पार्किंग व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी।
कैबिनेट मंत्री भूरिया ने कहा कि,
“कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित और सुविधाजनक आवास उपलब्ध कराना समय की मांग है। यह हॉस्टल ‘सखी निवास’ नाम के अनुरूप एक सुरक्षित और पारिवारिक माहौल प्रदान करेगा।”
जिला कलेक्टर नेहा मीना ने भी इस योजना को जिले के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। उन्होंने जानकारी दी कि हॉस्टल निर्माण के लिए झाबुआ तहसील के रतनपुरा ग्राम में स्थित शासकीय भूमि को पहले ही चिन्हित कर आवंटित किया जा चुका है। यह भूमि सर्वे नंबर 2 व 4 में स्थित है, जिसका कुल रकबा 0.73 हेक्टेयर है, जिसमें से 0.50 हेक्टेयर भूमि हॉस्टल निर्माण के लिए निर्धारित की गई है।
इस पहल से न केवल जिले में कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित आवास मिलेगा, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम भी सिद्ध होगा।
मुख्य बिंदु – झाबुआ में वर्किंग वूमेन हॉस्टल को मंजूरी
योजना का नाम:
सखी निवास – मिशन शक्ति के तहत।
स्थान:
झाबुआ तहसील के रतनपुरा ग्राम, सर्वे नंबर 2 व 4 की शासकीय भूमि (0.50 हेक्टेयर में निर्माण प्रस्तावित)।
लागत और विशेषताएं:
अनुमानित लागत: 664 लाख रुपये।
तीन मंजिला भवन में 50 सीटें।
एसी/नॉन-एसी सिंगल, डबल, ट्रिपल शेयरिंग कमरे।
मेस, सुरक्षा, चौकीदार, खेल सुविधा, पार्किंग इत्यादि।
लाभ:
कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित, सुविधाजनक और किफायती आवास।
महिला सशक्तिकरण और आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा।
जिले में महिला श्रमिकों और प्रोफेशनल्स के लिए एक बेहतर वातावरण।
निष्कर्ष
यह योजना झाबुआ जैसे विकासशील जिले में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। कार्यस्थल से दूर रहने वाली महिलाओं को सुरक्षित आवास देना, सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा दोनों के लिए जरूरी है। इससे क्षेत्रीय विकास और सामाजिक समरसता को भी बल मिलेगा।