पत्नी की बेरहमी से हत्या कर ‘आत्महत्या’ का रूप देने वाला पति उम्रकैद की सलाखों के पीछे,,,झाबुआ की अदालत का सख्त फैसला – “घरेलू हिंसा का अंजाम मौत, तो कानून देगा न्याय…!

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झाबुआ@हरीश यादव
शराबी पति ने पत्नी को पहले पीटा, फिर गला घोंटा, और रस्सी से लटका दिया – ताकि लगे आत्महत्या!”
लेकिन, कानून की नजरों से सच्चाई कब तक छुपती..?
ग्राम गोरियाखादन की 28 वर्षीय मनीषा की मौत को आत्महत्या साबित करने की कोशिश को कोर्ट ने पूरी तरह नकारते हुए उसके पति कमलेश सिंगाडिया (उम्र 35) को आजीवन सश्रम कारावास और ₹5000 जुर्माने की सजा सुनाई है। यह फैसला झाबुआ जिला एवं सत्र न्यायालय की माननीय न्यायाधीश विधि सक्सेना ने सुनाया, जो पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया।
क्या था मामला..?
18 फरवरी 2024 की सुबह, जब मनीषा का शव उसके ही घर में लोहे के एंगल से लटका मिला, तो हर किसी को लगा कि यह आत्महत्या है। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ – सिर, कमर, हाथों पर गहरी चोटें थीं। यह आत्महत्या नहीं, हत्या थी!
जांच में क्या निकला…?
आरोपी कमलेश शराबी था, और अक्सर मनीषा के साथ मारपीट करता था।
घटना वाले दिन भी उसने उसे बेरहमी से पीटा और गला घोंटकर जान ले ली।
इसके बाद शव को लटका दिया, ताकि सबको लगे कि मनीषा ने आत्महत्या की है। परंतु थाना काकनवानी पुलिस और एसडीओपी थांदला रविन्द्र राठी की दृढ़ जांच एवं अभियोजन अधिकारी मानसिंह भूरिया की प्रभावी पैरवी के चलते सच्चाई सामने आई और न्याय की जीत हुई।
अदालत का संदेश:
“घरेलू हिंसा अब ‘घर का मामला’ नहीं, बल्कि एक संगीन अपराध है – जिसकी सजा तय है!”
यह फैसला उन तमाम महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण है, जो घरेलू हिंसा का शिकार हैं। अब यह साफ है – अत्याचार सहने की नहीं, आवाज उठाने की जरूरत है। – न्यायपालिका हर पीड़िता की आवाज सुनती है – चाहे वो कितनी भी दबाई गई हो।