पेटलावद

गुरूदेव के जयकारों के साथ गुरूभक्तों का स्वागत हुआ,,,अरूणोदय वेला में तीन दिवसीय अखंड किर्तन का शुभारंभ..!

श्री सरस्वती नंदन स्वामी भजनाश्रम पर लगा गुरूभक्तों का तांता।

#Jhabuahulchul 

पेटलावद डेस्क। गुरू देव के जयकारों के साथ गुरूभक्तों का हुआ नगर में प्रवेश पुष्प वर्षा व फूलमाला पहनाकर भक्तों का किया स्वागत। श्री जी पाद स्पर्श महोत्सव के शुभारंभ में 01 जून की शाम 7ः30 बजे गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों से भक्तों की डोलियों का नगर में आगमन हुआ जिसमें 78 गुरूभक्त व संगीत के जानकार पेटलावद पहुंचे जहां पर स्थानीय निलकंठेश्वर महादेव मंदिर पर गुरूभक्तों का स्वागत नगर की धर्मप्रेमी जनता व गुरूभक्तों ने किया गया। जहां पर निलकंठेश्वर के दर्शन कर शोभायात्रा प्रारंभ हुई जो की भजन किर्तन करते हुए नगर के मुख्य मार्गाे से गुजरी। जिसका गुरूभक्तों ने स्वागत किया। शोभायात्रा कार्यक्रम स्थल सरस्वती नंदन स्वामी भजनाश्रम पहुंची जहां पर गुरूभक्तों का तिलक लगाकर एक बार पुनः स्वागत किया गया। इसके पश्चात गुरूदेव की महाआरती का आयोजन किया गया। जिसका लाभ सभी भक्तों ने लिया और इसके पश्चात महाप्रसादी का वितरण किया गया।

अरूणोदय वेला में किर्तन हुए प्रारंभ।

02 जून सोमवार को अरूणोदय वेला में तीन दिवसीय अंखड किर्तन का शुभारंभ किया गया। जिसमें गुजरात से आए भक्त मंडलों ने अपनी चार टीम अलग अलग बना ली जो की लगातार तीन दिन तक अंखड किर्तन का कार्य संपन्न करवाएगी। जिसमें गुरूदेव के किर्तन व भजन के साथ आयोजन का विधिवत शुभारंभ पुष्पवर्षा के साथ हुआ। वहीं सुबह 6 बजे मंगला आरती का आयोजन किया गया।इसके पश्चात अन्नपूर्णा पुजन का लाभ वैंकट त्रिवेदी परिवार और गजेंद्र नागर परिवार के द्वारा लिया गया।
शोभायात्रा में थांदला वैंकुंठ धाम के अध्यक्ष राजेंद्र अग्निहोत्री, नामदेव आचार्य,पेटलावद आश्रम प्रभारी अरविंद गोपाल भट्ट, महेंद्र अग्रवाल, पेटलावद गुरूद्वारा अध्यक्ष ओमप्रकाश भट्ट,ब्राम्हण समाज अध्यक्ष मनोज जानी, धर्मेद्र द्विवेदी,संजय भावसार,सत्येद्र भाई सोलंकी, मनीष जी, विनोद नागर, गजेेंद्र नागर आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

आयोजन का उद्ेश्य।

आयोजन के उद्ेश्य को बताते हुए समिति के सदस्यों ने बताया कि गुरूदेव के प्रथम नगर आगमन की याद को चिरस्थायी बनाने के लिए समिति के द्वारा लगातार 15 वर्षाे से इस आयोजन को किया जा रहा है। और सनातन धर्म में गुरू आस्था के महत्व को प्रतिपादित करते हुए इस आयोजन को करते हुए गुरूभक्तों को वर्ष में एक बार मिलन का अवसर और गुरू आराधना करने के उद्ेश्य को लेकर आयोजन किया जाता है। जिसमें पेटलावद, थांदला, झाबुआ, गुजरात, महाराष्ट् सहित मध्यप्रदेश व राजस्थान के कई शहरों से गुरूभक्त आ कर आयोजन का आंनद लेते है।

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