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श्रीकृष्ण-सुदामा मिलन प्रसंग में भावविभोर हुए श्रद्धालु, श्रीमद्भागवत कथा में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब..!

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रायपुरिया@राजेश राठौड़

स्वास्तिक गार्डन में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन श्रद्धालुओं का अपार जनसैलाब उमड़ पड़ा। कथा के मुख्य आकर्षण श्रीकृष्ण-सुदामा मिलन प्रसंग ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। कथावाचिका साध्वी ममता दीदी के भावपूर्ण और मार्मिक वचनों ने पूरे वातावरण को भक्तिमय कर दिया। सुदामा की निस्वार्थ भक्ति और भगवान श्रीकृष्ण की मित्रता की कथा सुनते हुए अनेक श्रद्धालुओं की आंखों से अश्रुधारा बह निकली।

साध्वी ममता दीदी ने प्रवचन में कहा, “भक्ति वैसी होनी चाहिए जैसी सुदामा की थी—निर्लोभ, निस्वार्थ और पूर्ण समर्पण वाली। दरिद्रता के बावजूद सुदामा के मन में कभी कोई असंतोष नहीं था। जब भगवान श्रीकृष्ण से उनका मिलन हुआ, तो स्वयं भगवान ने उनके चरणों को अपने अश्रुओं से धोया।”

दीदी ने आगे कहा कि कलियुग में केवल नामजप ही मोक्ष का सरल मार्ग है। मनुष्य को जीवन में अपने कर्म करने ही पड़ते हैं, परंतु भगवान तो केवल भाव के भूखे होते हैं। उन्हें बस सच्चे मन से पुकारने की आवश्यकता है।

उन्होंने समाज में मर्यादा और नैतिकता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यदि किसी को दान करें तो उसका प्रचार नहीं करना चाहिए। “आजकल लोग दान कम करते हैं और बखान अधिक। सच्चा दान वही है जो गुप्त रूप से किया जाए,” उन्होंने कहा।

कथा के समापन पर देश की सीमाओं पर तैनात वीर सैनिकों के लिए प्रार्थना की गई कि परमात्मा एवं माँ शक्ति उन्हें इतनी सामर्थ्य दें कि वे हर संकट का सामना कर सकें। साथ ही हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष हिंदुओं की आत्मा की शांति हेतु विशेष प्रार्थना की गई और उनके लिए श्रीमद्भागवत कथा का पुण्य अर्पित किया गया।

कथा के पश्चात महाआरती और भव्य भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सभी श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की। आयोजन समिति ने समस्त उपस्थितजनों, श्रद्धालुओं और सहयोगियों का हृदय से आभार प्रकट किया।

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