झाबुआ

बेशकीमती संपत्ति विवाद पहुँचा जनसुनवाई तक – दिगंबर जैन समाज और मोदी परिवार आमने-सामने…!

#Jhabuahulchul 

झाबुआ@हरीश यादव ✍🏻 

झाबुआ नगर के हृदय स्थल बाबेल चौराहे पर स्थित एक बहुमूल्य भवन को लेकर दिगंबर जैन समाज और मोदी परिवार के बीच लंबे समय से चल रहा संपत्ति विवाद अब सार्वजनिक रूप से सामने आ गया है। दोनों पक्षों ने इस विषय में जिला प्रशासन के समक्ष अपनी-अपनी बात रखी है।

दिगंबर जैन समाज का दावा है कि यह भवन वर्षों पूर्व समाज द्वारा धर्मशाला के रूप में स्थापित किया गया था, जिसे अब एक परिवार ने अनुचित रूप से अपने अधिकार में ले लिया है। समाज के व्यवस्थापक निलेश शाह ने जनसुनवाई के दौरान बताया कि मोदी परिवार पूर्व में इस संपत्ति पर व्यवस्थापक के रूप में कार्यरत था, लेकिन अब वे स्वयं को संपत्ति का मालिक बताकर उस पर अधिकार जता रहे हैं। समाज का कहना है कि यह एक सार्वजनिक धार्मिक संपत्ति है, न कि किसी निजी व्यक्ति की।

वहीं दूसरी ओर, मोदी परिवार के सदस्य जिमी मोदी ने प्रशासन से स्पष्ट किया कि नगर पालिका की पूर्व की एक मानवीय त्रुटि के कारण यह संपत्ति दिगंबर जैन समाज के नाम दर्ज हो गई थी। उनका कहना है कि वास्तविक रिकॉर्ड नजूल भूमि में उनके परिवार के नाम दर्ज है और वे वर्षों से इसका उपयोग करते आ रहे हैं। उन्होंने त्रुटि सुधार हेतु आवश्यक आवेदन पहले ही प्रस्तुत कर दिया है।

विवादित भवन वर्तमान में पूरी तरह जर्जर हो चुका है और नगर पालिका द्वारा जारी नोटिस के अनुसार इसे ध्वस्त किया जा रहा है। ऐसे में दोनों पक्षों के बीच विवाद ने एक संवेदनशील मोड़ ले लिया है।

प्रशासन द्वारा दस्तावेजों की जांच एवं कानूनी पहलुओं पर विचार के बाद ही इस संपत्ति पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

मामले का संक्षिप्त विवरण :-

स्थान : बाबेल चौराहा, नगर का मध्य क्षेत्र,
संपत्ति : एक बेशकीमती भवन जो अब जीर्ण-शीर्ण हो चुका है। 

पक्ष 1 – दिगंबर जैन समाज :-

1. दावा : संपत्ति धर्मशाला के रूप में समाज की है,
2. तर्क : मोदी परिवार केवल व्यवस्थापक के रूप में कार्यरत था,
3. कार्यवाही : जनसुनवाई में आवेदन देकर कब्जा हटाने की मांग की,
4. दस्तावेज़ी स्थिति: समाज के पास दावा सिद्ध करने वाले ठोस दस्तावेज़ नहीं होने की बात सामने आई। 

पक्ष 2 – मोदी परिवार :-

1. दावा: संपत्ति परिवार के नाम पर दर्ज नजूल में (राजस्व अभिलेख),
2. तर्क: नगरपालिका की मानवीय त्रुटि के कारण जैन समाज के नाम हो गया रिकॉर्ड,
3. कार्यवाही: त्रुटि सुधार के लिए आवेदन दिया, जनसुनवाई में पक्ष रखा। 

विवाद की जड़ :-

1. दस्तावेजों की अस्पष्टता,
2. पुरानी व्यवस्थाओं और मौखिक सहमतियों पर आधारित स्वामित्व,
3. सरकारी रिकॉर्ड में असंगति। (जैन समाज बनाम मोदी परिवार) 

अगला कदम क्या हो सकता है ?

1. राजस्व रिकॉर्ड और नजूल दस्तावेजों की पूरी जांच,
2. न्यायालय में समाधान की संभावना, यदि दोनों पक्ष सहमत नहीं होते,
3. सरकारी मध्यस्थता के ज़रिए आपसी सहमति का प्रयास।

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