झाबुआपेटलावद

पूर्व थाना प्रभारी दिनेश शर्मा पर गंभीर आरोप,,,कम धारा लगाने का बोलकर ₹50000 ले लिए,,,एफआईआर कर जमानत पर छोड़ा,,,और पंद्रह दिन बाद हस्ताक्षर के बहाने थाने में बुलाकर डबल एफआईआर कर अनुसूचित जाति व अनुसूचित जन जाति वर्ग के युवकों को भेजा जेल..!

#Jhabuahulchul 

पेटलावद@ओपी मालवीय✍🏻

जिले के पेटलावद थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी दिनेश शर्मा पर अनुसूचित जाति के युवक से ₹50000 रिश्वत लेने और इसके बावजूद फर्जी मुकदमे में जेल भेजने का सनसनीखेज आरोप सामने आया है, पीड़ित युवक राजेश मालवीय ने पुलिस अधीक्षक को दिए गए आवेदन में पूरी घटना का विवरण देते हुए थाना प्रभारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

राजेश मालवीय, जो कि एक बस कंडक्टर हैं और खामडीपाड़ा गांव के निवासी हैं, ने बताया कि रतलाम में प्रदीप बस के कंडक्टर और ड्राइवर ने उसके साथ मारपीट की घटना को अंजाम दिया था , जिसकी शिकायत रतलाम थाने में आवेदन देखकर दर्ज करवाई गई थी , जिसके बाद फिर से 10 अप्रैल को विवाद पुनः बढ़ गया , 12 अप्रैल को उन्हें पेटलावद थाना प्रभारी दिनेश शर्मा द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया , और रात भर मुझे थाने की जेल में रखा गया और दिन भर रखकर थाना प्रभारी दिनेश शर्मा ने उनसे थाने में जातिसूचक गालियां दीं, डराया-धमकाया और ₹1,00,000 की मांग की। मैंने हाथ जोड़कर निवेदन किया कि मेरे पास इतने पैसे नहीं है, मैं मेरे सेठ से उधार लाकर दे सकता हूं , तब जाकर अंततः ₹50000 में “समझौता” हुआ और थाना प्रभारी दिनेश शर्मा द्वारा कम धारा लगाकर चालान पेश कर एसडीएम कोर्ट से मेरी जमानत हुई और मुझे छोड़ दिया गया।

इसके बाद मैं मेरे सेठ के पास से ₹50000 रुपए उधार लेकर आया और टीआई साहब ने मुझे एक मोबाइल नंबर दिया और कहा कि इस नंबर पर पेमेंट डाल दो तो मैंने वह पेमेंट उस नंबर पर डाल दिया ।

चौंकाने वाली बात यह है कि पैसा देने के पंद्रह दिन बाद एक बार फिर राजेश को हस्ताक्षर के बहाने दोबारा थाने बुलाकर गिरफ्तार किया गया , और जबरन चार अन्य नाम जोड़ दिए गए और उन पर गंभीर धाराएं लगाकर कोर्ट में पेश किया गया। राजेश का आरोप है कि यह सब जानबूझकर किया गया ताकि उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाया जा सके।

पीड़ित ने यह भी कहा कि वे एक गरीब दलित परिवार से हैं और मेहनत-मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं। इस घटना से उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने थाना प्रभारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में किसी दलित या आदिवासी गरीब व्यक्ति के साथ जलन भावना के चलते ऐसा अन्याय न हो।

पुलिस अधीक्षक कार्यालय से इस प्रकरण में अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

इस विषय पर जब एसडीओपी कमलेश शर्मा से चर्चा करना चाहि तो उन्होंने कहा कि मैं अभी छुट्टी पर हूं ।

अगले अंक में पढ़िए की पेटलावद थाना प्रभारी दिनेश शर्मा ने उन ₹50000 को किसके खाते में डालवाए, उसका नाम क्या था , और दलित पीड़ित के हाय लगे उन पैसों का नगर के किस काम में इस्तेमाल हुआ , सबकुछ पूरे खुलासे के साथ , और जब यह खुलासा आप पढ़ेंगे तो आप भी चौक जाएंगे ।

तो बने रहे झाबुआ हलचल न्यूज वेब पोर्टल के साथ 

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