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खवासा@आनंदीलाल सिसोदिया
आधार के नाम पर आज भी आधार केंद्रों पर संचालको द्वारा लूट मचा रखी है। सरकार के निर्धारित शुल्क से अधिक की वसूली केंद्रों पर हो रही है। ऐसे में दस्तावेज में सुधार के लिए मजबूरन ग्रामीणों को मुह मांगे पैसे दिए जा रहे है। ग्रामीण क्षेत्रो में भोले-भाले लोग आधार केंद्र संचालको को उनके बताए अनुसार राशि अदा करके आधार में सुधार आदि कार्य कर्व करवाने में विवश है, क्योकि आधार में बिना कोई भी कार्य सम्भव नही है।
तीन सौ रुपये तक कि वसूली
सरकार ने विभिन्न शासकीय योजनाओं का लाभ देने के लिए आधार कार्ड को एक प्रकार से जरूरी कर दिया है। योजनाओं का लाभ लेने के लिए हर कोई कार्ड बनवाना चाहता है इसका फायदा आधार कार्ड बनाने वाले भी उठा रहे हैं। जबकि शासन ने आधार में करेक्शन करना, मोबाइल नंबर जोड़ने आदि का शुल्क 50 से 100रुपये कर रखा है लेकिन ज्यादा कमाई के चक्कर में आधार केंद्र वाले ग्रामीणों से 200 से 300 रुपए लेकर लूट मचा रखी है । ग्रामीण भी मजबूरन उनके बताए अनुसार राशि देते है। सरकार ने अपनी योजनाओं को आधार कार्ड से जोड़ दिया है। गैस कनेक्शन, राशन, बैंकिंग सेवाओं में यह महत्वपूर्ण दस्तावेज हो चुका है। कार्ड बनाने की प्रक्रिया कई सालों से चल रही है उसके बावजूद भी बड़ी संख्या में लोग आधार कार्ड बनाने से वंचित रह गए जिसका अच्छा खासा फायदा आधार कार्ड बनाने वाले उठा रहे हे वही लोगों से अवैध रूप से पैसे मांग रहे हैं। आधार एक में बार कुछ भी करेक्शन किया जाता हे उसके बाद अगर व रिजेक्ट हो जाता है तो कस्टमर से वापस डबल राशि लेकर वापस सुधार किया जाता है जिससे ग्रामीण को इसका हर्जाना भरना पड़ रहा है।