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सारंगी में वर्षों से चुल की परंपरा है आज भी बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है,,अति प्राचीन हिंगलाज माता का मंदिर है..!

#Jhabuahulchul 

सारंगी@संजय उपाध्याय

वर्षों से हिंगलाज माता के नाम से चुल चलने की परंपरा है हर वर्ष धुलेटि की शाम कों पांच बजे चुल में श्रद्धालु के चलने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है इसमें जो भी मन्नत धारी रहते हैं वे अपनी मन्नत पूरी होने पर कोई भक्त एक वर्ष, 2 वर्ष, 3 वर्ष, चार,पांच वर्ष तक चुल चलने की प्रतिज्ञा करते हैं मन्नत पूरी होने पर वें अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार चुल चलते हैं बताया जाता है कि यहां पर हिंगलाज माता मंदिर पर जो भी मन्नत मांगी जाती है वो हर भक्तों की पुरी होती हैं। माता के सामने मंदिर पंडाल में 21 फीट लंबी 2 फीट गहरी चूल बनाई जाती है इसके अंदर लकड़ी एवं शुद्ध देसी घी डालकर अंगारे तैयार किए जाते हैं इन धधकते अंगारों पर श्रद्धालु नंगे पैर चलकर अपनी मन्नत पूरी करते हैं मां के आशीर्वाद से किसी भी भक्त को कोई परेशानी नहीं होती है। यहां हर वर्ष चुल में अनेक श्रद्धालु चलते हर वर्ष श्रद्धालु की संख्या बढ़ती जा रही है आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से हजारों की संख्या में माता, बहने ओर युवा व आम जन देखने के लिए है आंतें है मां के दर्शन कर धर्म लाभ लेते हैं।

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