
#Jhabuahulchul
मुकेश सिसोदिया✍️
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का आगाज हो चुका है। रोमांच और क्रिकेट प्रेम के बीच, एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि इस दौरान सट्टेबाजी का जाल तेजी से फैलता है, जिसमें खासकर किशोर और युवा वर्ग आसानी से फंस जाते हैं।
खेल-खेल में फंस सकते हैं बच्चे…!
स्कूल परीक्षाएं समाप्त हो रही हैं, वेकेशन की तैयारी चल रही है, और ऐसे में बच्चे क्रिकेट के प्रति अधिक आकर्षित हो जाते हैं। आधुनिक तकनीक ने सट्टेबाजी को पहले से ज्यादा खतरनाक बना दिया है। अब यह सिर्फ मैदानों तक सीमित नहीं, बल्कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आईडी बनाकर खेला जा रहा है। कई बच्चे मोबाइल गेम्स खेलते-खेलते सट्टे की गिरफ्त में आ जाते हैं और परिवार को इसका अंदाजा भी नहीं होता।
सट्टे की चपेट में आकर आत्महत्या तक की नौबत..?
पिछले कुछ वर्षों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां सट्टे में हारने के बाद किशोरों ने आत्मघाती कदम तक उठा लिया। साइबर सटोरिए बच्चों को आसान पैसे का लालच देकर इस दलदल में धकेल देते हैं।
माता-पिता क्या करें…?
बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखें, खासकर वे मोबाइल पर क्या देख और कर रहे हैं।
स्वयं भी आईपीएल मैचों में अत्यधिक रुचि न लें और इस पर लगातार चर्चा करने से बचें।
यदि कोई संदिग्ध गतिविधि लगे, तो तुरंत हस्तक्षेप करें और आवश्यक होने पर झाबुआ पुलिस की मदद लें , झाबुआ पुलिस अधीक्षक श्री पद्म विलोचन शुक्ल के द्वारा सट्टे पर अंकुश लगाने का कार्य किया जा रहा है , जिसमें वह आपका पूरा सहयोग करेंगे। या अपने नजदीकी पुलिस थाना प्रभारी से संपर्क करें
सतर्क रहें, सुरक्षित रहें…!
आईपीएल के रोमांच में बहकर अपने बच्चों को इस खतरनाक जाल में न फंसने दें। यदि किसी बच्चे के व्यवहार में बदलाव दिखे, तो सामाजिक शर्म से बचने के बजाय तुरंत कार्रवाई करें। पुलिस और साइबर सेल इस पर सक्रिय है।
याद रखें – आपका बच्चा अनमोल है, उसे सट्टे की आग से बचाना आपकी जिम्मेदारी है।