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#Jhabuahulchul
रायपुरिया@राजेश राठौड़
नगर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन श्रद्धालुओं ने भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के विवाह के पश्चात माता पार्वती की सिचावनी रस्म पूरे भक्ति भाव और हर्षोल्लास के साथ संपन्न की। कथा में उपस्थित भक्तों ने श्रद्धा के साथ भाग लिया और भजनों पर नृत्य कर आध्यात्मिक वातावरण को आनंदमय बना दिया।
कथा वाचक पंडित बालकृष्ण नगर ने अपने प्रवचन में समाज में बढ़ रही दहेज प्रथा पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में दहेज की वजह से कई रिश्ते टूट रहे हैं, जो कि अत्यंत दुखद है। एक पिता जब अपनी लाड़ली बेटी का कन्यादान करता है, तो वह अपने हृदय का अंश सौंप देता है, लेकिन समाज में कुछ लोग दहेज के लिए उसे ताने मारते हैं और विवाह को एक व्यापार की तरह देखने लगते हैं। उन्होंने कहा कि जब किसी के घर बेटा जन्म लेता है तो उत्सव मनाया जाता है, लेकिन बेटी के जन्म पर मायूसी जताई जाती है, जो कि पूरी तरह से गलत मानसिकता है। वास्तव में, बेटी का जन्म सौभाग्य का प्रतीक होता है, क्योंकि वह अपने माता-पिता का मान बढ़ाती है और अपने नए परिवार को प्रेम और स्नेह से जोड़ती है।
तीन प्रकार के दान कभी व्यर्थ नहीं जाते—
1. माता-पिता की सेवा
2. कन्यादान
3. तीर्थ स्थलों, धर्म-कर्म या भागवत कथा जैसे आयोजनों में किया गया दान
पंडित नगर ने कहा कि इन तीनों प्रकार के दान का फल किसी न किसी रूप में परमात्मा अवश्य प्रदान करता है। उन्होंने श्रद्धालुओं को संस्कारों का पालन करने, अपने बच्चों को अच्छे गुण सिखाने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा दी।
पूरे कथा स्थल में भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला। श्रद्धालु भजनों की धुन पर झूमते रहे, और संकीर्तन के मधुर स्वरों से वातावरण भक्तिमय हो गया। कथा के अंत में महाप्रसाद का वितरण किया गया, जिसे भक्तों ने श्रद्धा पूर्वक ग्रहण किया।