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एक ही दिन दो विदाइयाँ: पोती की डोली उठी, दादी की अर्थी भी…!

#Jhabuahulchul 

रायपुरिया@राजेश राठौड़ 

भरतलाल पाटीदार के घर में जहां शादी की खुशियां थीं, वहीं कुछ ही घंटों में मातम का साया छा गया। उनकी माता, बसंती बाई पाटीदार जो अपनी पोती रिंकू की शादी में परिवार जन के साथ झूम-झूम कर नाच रही थीं।वह सभी टेबल पर बैठकर सभी को देख रही चहरे पर खुशी थी मेरी पोती की शादी हो रही है कि अचानक बीमार पड़ गईं। शादी की रस्में चल रही थीं कि उनकी तबीयत बिगड़ गई। परिजन उन्हें तुरंत अस्पताल ले गए, लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया।

घर के आंगन में सजी हुई डोली और पास ही रखी अर्थी… यह दृश्य देखकर हर आंख नम हो गई। बेटी की विदाई के साथ ही परिवार को दादी की अंतिम यात्रा की तैयारी भी करनी पड़ी। कुछ देर पहले जो हाथ बेटी को विदा करने के लिए सजी हुई मेहंदी से रंगे थे, वे अब दादी को अंतिम विदाई देने के लिए उठे।

जिस घर में अभी तक शहनाइयां बज रही थीं, वहां अब रोने की आवाजें गूंज रही हैं। खुशियों से भरा आंगन अचानक शोक में डूब गया। गांवभर में इस दर्दनाक संयोग की चर्चा है, जिसने हर किसी को भावुक कर दिया।

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