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रायपुरिया@राजेश राठौड़
कल्याणपुर रोड पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का समापन 10 फरवरी को भक्तिमय माहौल में हुआ। कथा के अंतिम दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, और पंडाल भक्ति रस से सराबोर हो गया।
कथा वाचक पं. बालकृष्ण नागर ने प्रवचन में कहा कि गरीबों के साथ खड़े रहना भी पुण्य का कार्य है। उन्होंने कन्यादान का महत्व बताते हुए कहा कि यदि किसी के संतान न हो, तो वे धर्म के माता-पिता बनकर कन्यादान करें, इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
संस्कृति को बचाने की अपील…
पं. बालकृष्ण नागर ने वर्तमान समय में शादी-ब्याह में बड़ी एलसीडी स्क्रीन पर अनुचित चित्र दिखाने की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने माता-पिता से आग्रह किया कि अगर एलसीडी लगाना ही है, तो उस पर भगवान, माता-पिता, दादा-दादी के चित्र दिखाएं, जिससे नई पीढ़ी हमारी संस्कृति से जुड़े।
कृष्ण-सुदामा की मित्रता ने भाव-विभोर किया…
जब भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाया गया, तो श्रद्धालु भावुक हो उठे। कथा में बताया गया कि भक्ति निस्वार्थ होनी चाहिए। भगवान कृष्ण ने अपने आंसुओं से सुदामा के पांव धोए, जबकि सुदामा ने अपनी गरीबी का कभी जिक्र तक नहीं किया, क्योंकि भगवान तो अंतर्यामी होते हैं।
गुरु के महत्व पर दिया संदेश…
उन्होंने सनातन धर्म के अनुयायियों से गुरु धारण करने का आह्वान किया, क्योंकि मृत्यु के बाद गुरु ही आत्मा को परमात्मा तक ले जाने में सहायक होता है।
भंडारे के साथ हुआ समापन…
भागवत कथा के आयोजक रामलाल पाटीदार और उनके परिवार ने सभी श्रद्धालुओं का आभार प्रकट किया। आयोजन में सहयोग करने वालों का सम्मान भी किया गया। कथा समापन के बाद विशाल आरती और भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की।