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परवलिया@उमेश पाटीदार
परवलिया:- गाँव परवलिया के ग्रामीणों को रोज़ाना एक गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है। थांदला से काकनवानी जाने वाली बसें गाँव के अंदर नहीं आतीं, बल्कि यात्रियों को परवलिया फाटक पर उतार दिया जाता है, जो गाँव से लगभग 1 किलोमीटर दूर है। इससे महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को पैदल सफर करना पड़ता है।
स्कूल जाने वाले छात्र भी परेशान…
गाँव में स्थित शासकीय हाई स्कूल और हाई सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाले कई छात्र-छात्राएँ आसपास के क्षेत्रों से आते हैं। इन बच्चों को भी फाटक पर ही उतार दिया जाता है, जिससे उन्हें 1 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पहुँचना पड़ता है। घर लौटते समय भी यही समस्या होती है, जिससे कई बार वे समय पर स्कूल नहीं पहुँच पाते।
अंधेरे में सुरक्षा का संकट…
शाम के समय, जब अंधेरा हो जाता है, तब भी बसें गाँव के अंदर नहीं आतीं। महिलाएँ और अन्य यात्री फाटक पर उतरने के बाद असुरक्षित महसूस करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कभी भी कोई अप्रिय घटना हो सकती है। गर्मियों में बुजुर्गों के लिए यह समस्या और गंभीर हो जाती है, क्योंकि पैदल चलने में कई बार वे चक्कर खाकर गिर जाते हैं।
बसों में नियम और सुविधाओं का अभाव..
परिवहन विभाग के नियमों के बावजूद बसों में किराया सूची नहीं है और न ही यात्रियों के लिए बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। गाँव के लोगों का कहना है कि बस संचालक मनमाने तरीके से यात्रियों को गाँव के बाहर उतारते हैं।
प्रशासन से समाधान की अपील…
ग्रामीणों ने कई बार बस चालकों और कंडक्टरों से बस को गाँव के अंदर लाने की अपील की है, लेकिन कुछ दिनों तक यह व्यवस्था ठीक रहने के बाद फिर से पुराने हालात हो जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जनप्रतिनिधि, विधायक और प्रशासन को मिलकर इस समस्या का स्थायी समाधान करना चाहिए।
गरीब और आदिवासी सबसे ज्यादा प्रभावित…
इस रूट पर सफर करने वाले अधिकतर यात्री गरीब और आदिवासी समुदाय से आते हैं, जिनके पास अन्य विकल्प नहीं हैं। सक्षम वर्ग अपने निजी वाहनों का उपयोग करता है, जिससे उन्हें यह समस्या नहीं झेलनी पड़ती। ग्रामीणों ने मांग की है कि परिवहन विभाग इस पर ध्यान दे और बसों को गाँव के अंदर आने का आदेश जारी करे।
समस्या का समाधान जरूरी…
ग्रामीणों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि इस समस्या को गंभीरता से लिया जाए। बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की सुरक्षा और सुविधा के लिए यह जरूरी है कि बसें गाँव के अंदर तक आएं।