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18 जनवरी शनिवार को मनाई जाएगी परम पूज्य गुरुदेव श्री श्री 1008 ब्रह्मलीन काशीगरी जी महाराज की पुण्यतिथी,,,कई राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों से आएंगे अनुयायी,,,होंगे कई धार्मिक आयोजन…!

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झकनावदा@नारायण राठौड़ 

झाबुआ जिले के झकनावदा नगर से 5 किलों मीटर दूर प्रसिद्ध स्थल श्री श्रृंगेश्वर धाम जहां मधु कन्या नदी ओर पावन माही नदी के संगम स्थल पर बने श्रृंगेश्वर धाम पर बाबा महाकाल का मंदिर , पंचमुखी हनुमान मंदिर, माही माता मंदिर ओर परम पूज्य गुरु देव ब्रह्मलीन श्री श्री 1008 काशीगरी जी महाराज की समाधि पर दर्शन करने अनेक राज्यों के अनुयायि आयेंगे ।

दो दिवसीय के इस आयोजन में मंदिर को फूलों और रंग बिरंगी लाइटों से सजाया जाएगा।दिनांक 17 को रात्रि में मधुर भजन संध्या का आयोजन रखा गया ।

18 जनवरी 2025 को परम पूज्य गुरु देव की 22 वी पुण्य तिथि बड़े धूमधाम से मनाई जाएगी अनेक पंडित विद्वानों द्वारा शुभ मूहर्त में गणेश पूजन, रूद्राभिषेक किया जाएगा एवं पूर्णाहुति के पश्चात् महाआरती उतारी जाएगी ।

भंडारे का होगा आयोजन

परम पूज्य गुरुदेव की पुण्य तिथि महाभिषेक, महाआरती उतारने के पश्चात महाप्रसादी वितरण की जाएगी । इस आयोजन में आसपास के क्षेत्रों से एवं अनेक राज्यों के विभिन्न स्थानों से भक्तजन शामिल होंगे और प्रतिवर्ष यहां भंडारे का आयोजन किया जाता है ।

श्रृंगेश्वर धाम के गादीपति परम पूज्य गुरुदेव रामेश्वर गिरी जी महाराज ने श्रद्धालुओं से अधिक से अधिक संख्या में पधार कर इस आयोजन को सफल बनाने का आग्रह किया ।

इस प्रसिद्ध स्थल पर होते है कई आयोजन

धार जिले एवं झाबुआ जिले के मध्य से गुजरती हुई माही नदी के तट पर अतिप्राचीन धार्मिक स्थल श्री श्रृंगेश्वर धाम पर महाशिवरात्रि, वैशाखी पूर्णिमा के अवसर पर कई मेला लगता हैं ।

सौन्दर्य की चादर ओढ़े मनमोहन ओर सुकून दायक स्थल

स्थल का वातावरण चारों ओर हरियाली से मनमोहक और सौंदर्य प्रदान करता है जिससे मन में सुकून सा मिलता है मोक्ष दायिनी माही नदी का जल कल- कल करता हुआ अपनी ओर आकर्षित करता है ।

धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र है श्रृंगेश्वर धाम

इसकी महत्ता के बारे में पुराणों में भी लिखा गया है यह स्थान श्रृंगी ऋषि के नाम से जाना जाता है कालांतर में श्रृंगी ऋषि के नाम से यह स्थान श्रृंगेश्वर धाम से जाना जाने लगा इस स्थान को परम पूज्य गुरुदेव काशीगरी जी महाराज ने अपने तप साधना से चैतन्य स्थान बनाया।

इस स्थान पर दूर-दूर से मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु जन आते रहते हैं, मधु कन्या नदी व माही नदी के संगम स्थल पर आज भी हड्डियों का विसर्जन किया जाता है ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर हड्डियां विसर्जन करने से पितृ को मोक्ष प्राप्त होता है।

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