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मेघनगर@मोहन संघवी
मेघनगर( नि प्र ):- मोहनखेड़ा जैन यात्रिकधर्मशाला प्रांगण स्थित श्री गौडीजी पार्श्वनाथ भगवान के मंदिर की सत्रहवीं वर्षगांठ आचार्य देव श्री मद हेमेंद्र सुरीश्वरजी म सा के शिष्यरत्न मुनि श्री चंद्रयश विजय जी म सा एवं मुनि श्री जिन भद्र विजय जी म सा आदि ठाणा दो तथा साध्वी श्री मुक्ति रिद्धि श्रीजी म सा आदि ठाणा चार की मिश्रा में पूर्ण पूजा भक्ति धर्म आराधना एवं भक्ति भावना के साथ मोहन खेड़ा तीर्थ से आए विधि कारक हसमुख भाई जैन के मंत्रौचार से शुभ मुहूर्त में मंदिर निर्माण के लाभार्थी भीनमाल निवासी श्रीमती हुलासी देवी राजमल जी वाणी गोता परिवार के वृद्ध हस्त से ध्वजारोहण किया गया।
ध्वजारोहण पश्चात धर्म सभा आयोजित हुई धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री चंद्रयश विजय जी ने कहा आत्मा को तिराने का आधार दो निमित्त से होता है जिसमें प्रथम जिन बिम्ब एवं दूसरा जिन आगम जिसमें आगम धर्म का रास्ता दिखाता है और जिसने धर्म का रास्ता अपना लिया वह सुख की प्राप्ति कर सकता है। प्रभु की प्रतिमा जिन आगम से है और प्रभु प्रतिमा के दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है। यह मानव जीवन मिला है यह पूर्णावर्तन के लिए नहीं है यह मानव जीवन परिवर्तन के लिए मिला है इसलिए परिवर्तन में विश्वास करो आज के युग में सभी अपना श्रेष्ठ समय मोबाइल में बर्बाद कर देते हैं इसे छोड़कर धर्म आराधना करने में समय व्यतीत करो धर्म आराधना ही जीवन जीने के लिए सर्वश्रेष्ठ है।
धर्म सभा में मोहनखेड़ा तीर्थ के मैनेजिंग ट्रस्टी सुजानमाल सेठ ने स्वागत भाषण दिया धर्म सभा में मुनि श्री को लाभार्थी परिवार द्वारा कामली वौहराई गई कार्यक्रम का संचालन विनय राज चंडालिया द्वारा किया गया एवं आभार अजीत संघवी ने माना।