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80 लाख का स्टेडियम बना बदहाली का शिकार: भ्रष्टाचार और लापरवाही के निशाने पर खिलाड़ी..!

#Jhabuahulchul 

खवासा@आनंदीलाल सिसोदिया/आयुष पाटीदार ✍🏻 

ग्रामीण क्षेत्रों में खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के केंद्र और राज्य सरकारों के दावे धरातल पर फेल साबित हो रहे हैं। झाबुआ जिले के खवासा गांव में 80 लाख रुपये की लागत से बना मिनी खेल स्टेडियम आज बदहाली और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। खिलाड़ियों के सपने अधूरे रह गए हैं, जबकि स्टेडियम असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है।

भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण का नतीजा…

2016 में आरआईएस विभाग द्वारा निजी ठेकेदार के माध्यम से बनाए गए इस स्टेडियम की हालत शुरू से ही खराब रही। खिलाड़ियों के अनुसार मैदान का समतलीकरण तक सही ढंग से नहीं किया गया, और न ही ट्रैक तैयार किया गया। स्टेडियम में उपयोग की गई सामग्री की गुणवत्ता भी बेहद खराब है।

खेल प्रेमियों का कहना है कि निर्माण एजेंसी और इंजीनियरों ने ठेकेदार के घटिया कामों पर आंखें मूंद लीं, जिसके कारण यह परियोजना भ्रष्टाचार की शिकार हो गई।

नशेड़ियों का अड्डा बना खेल मैदान…

शाम होते ही खेल मैदान असामाजिक तत्वों का अड्डा बन जाता है। मैदान पर शराब की बोतलें और टूटे कांच बिखरे रहते हैं, जिससे खिलाड़ियों का अभ्यास करना मुश्किल हो गया है।

खेल मैदान से हो रही चोरी…

ग्राउंड के ऊपरी हिस्से में खिड़कियां और जालियां चोरी हो चुकी हैं। खेल प्रेमियों ने बताया कि लोडिंग वाहन रोजाना मैदान से गुजरते थे, लेकिन पंचायत ने दीवार बनाकर इस पर रोक लगाई। खिलाड़ियों का कहना है कि यह ग्राउंड पंचायत के अधीन होना चाहिए, ताकि इसकी देखभाल सुनिश्चित हो सके।

खिलाड़ियों का कहना हे…

विजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि स्टेडियम के निर्माण में लाल मिट्टी का उपयोग होना चाहिए था, लेकिन ठेकेदार ने सस्ते में मोहर्रम मिट्टी का उपयोग किया, जिससे खिलाड़ी फिसलकर चोटिल हो रहे हैं। खेल मैदान में खिलाड़ियों के लिए पानी की व्यवस्था होनी चाहिए थी लेकिन वो भी वहां नहीं हैं। खेल मैदान लावारिश हालत में पड़ा हुआ है जिसका कोई रख रखाव नहीं हो रहा है

सम्राट चोपड़ा ने मांग की है कि ग्राउंड की सफाई और रखरखाव की जिम्मेदारी पंचायत को सौंपी जाए। साथ ही भ्रष्टाचार की जांच हो और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

सरकार और अधिकारियों की चुप्पी..

खिलाड़ियों और ग्रामीणों ने बार-बार इस मामले की शिकायत की, लेकिन अधिकारियों और सरकार ने अब तक कोई ध्यान नहीं दिया। सवाल यह उठता है कि लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए इस स्टेडियम की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार कौन है..?

खिलाड़ियों की उम्मीदें और सरकार के वादे दोनों ही अब सवालों के घेरे में हैं।

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