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खवासा@आनंदीलाल सिसोदिया ✍️
खवासा:- ग्रामीण अंचलों में एमबीबीएस की तर्ज पर अपने क्लीनिक चला रहे झोलाछाप डॉक्टरों पर प्रशासन अब तक कार्रवाई नहीं कर पाया है। एक दो बार कार्रवाई करने के लिए पहुंच भी था अमला लेकिन मामले में किसी ने विभीषण की भूमिका अदा कर दी इसकी वजह से अधिकारियों के पहुंचने से पहले ही झोलाछाप डॉक्टर अपनी दुकान बंद करके रफू चक्कर हो गए उसके बाद फिर मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। जिले सहित ग्रामीण अंचलों में इनका मायाजाल बड़े लंबे वह जोड़ जुगाड़ के साथ जमा हुआ है यह ग्रामीण अंचलों में ग्रामीणों को हाई डोज देने के साथ ही बिना जांच पड़ताल किए बोतल व इंजेक्शन तक लगते हैं। अभी भी इनके क्लीनिक चल रहे हैं जबकि भोपाल से आदेश आने के बाद प्रशासन को इन पर शिकंजा कसना था लेकिन शिकंजा कसने के बजाय विभागीय अधिकारी मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। थांदला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीन खवासा भामल आदि जगह झोलाछाप डॉक्टर धड़ड़ले से इलाज कर रहे हैं लेकिन इनके ऊपर कोई भी कार्रवाई नहीं हो रही है जबकि पिछले दिनों टीएल बैठक में कलेक्टर ने ईनके ऊपर कारवाई करने के आदेश जारी कर दिए हैं। इन दिनों मौसमी बीमारियों के चलते ईनके यहां काफी भीड़ दिखाई दे रही है तो सरकारी अस्पताल में भी मरीज अधिक मात्रा में पहुंच रहे हैं।
आखिर क्या वजह की इन पर आदेश होने के बाद भी कार्रवाई नहीं होना कहीं ना कहीं स्वास्थ्य विभाग अधिकारियों की मिली भगत इशारा करता है। जबकि प्रदेश के अन्य जिलों में लगातार कार्रवाई देखने को मिल रही है लेकिन झाबुआ जिले में मामला ठन्डे बस्ते में चला गया। जैसे ही भोपाल से कार्रवाई करने के आदेश जारी हुए इन झोलाछाप डॉक्टरों में हड़कंप मचा हुआ था लेकिन अब निडर होकर यह अपने क्लिनिक चला रहे हैं तो मेडिकल की आड़ में धड़ड़ले से ग्रामीणों का इलाज भी कर रहे हैं।
भामल मे मेडिकल की आड़ मे धड़ड़ले ग्रामीणों का इलाज कर रहे झोलाछाप…!
खवासा के समीप ग्राम भामल में दो मेडिकल संचालित हो रहे हैं लेकिन इन मेडिकल संचालकों ने इन दिनों धूम मचा रखी है मेडिकल की आड़ में यह ग्रामीणों का इलाज भी कर रहे हैं जबकि मेडिकल संचालित करने वाले को सिर्फ पर्ची के आधार पर मेडिकल पर दवाई देना रहता है लेकिन यह धड़ड़ले से मिनी नर्सिंग होम संचालित कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कोई ध्यान ही नहीं दे रहे हैं बताते हैं पिछले दिनों ड्रग इंस्पेक्टर ने ग्रामीण अंचलों में संचालित हो रहे मेडिकल का दौरा किया था लेकिन खवासा व भामल में मेडिकलों का दौरा ही नहीं किया। भामल में मेडिकल की आड़ में इस तरह से प्रैक्टिस कर रहे है, व ग्रामीणों इलाज कर रहे हैं झोलाछाप की दिन दुगनी और रात चुगनी की तर्ज पर मरीजों को लूटा जा रहा है लेकिन यहां स्वास्थ्य विभाग के कानों में वह आंखों में पट्टी बंधी हुई है जिसकी वजह से देखने में असमर्थता जाहिर कर रहे हैं जिला स्वास्थ्य अधिकारी व बीएमओ को इस और कार्रवाई करनी चाहिए अगर यह अनलीगल तरीके से इलाज कर रहे हैं तो उनके लाइसेंस भी कैंसिल होने चाहिए लेकिन क्यों ऐसा हो रहा है यह समझ से परे हैं वर्तमान में मेडिकल की आड़ में धड़ड़ले से मरीजों का इलाज कर रहे हैं एक बोतल के 400 से ₹500 तक एक मरीज से ले रहे हैं।
कलेक्टर के आदेश को भी नजर अंदाज कर गए झाबुआ जिले के स्वास्थ्य अधिकारी…!
झाबुआ जिले में कलेक्टर नेहा मीना ने इन पर शिकंजा कसने के लिए टीम का गठन किया है लेकिन टीम अब तक सक्रिय नहीं हो पाई है जिससे इनके हौसले अभी भी बुलंद है, कलेक्टर ने सख्त आदेश दिया है कि अपंजीकृत चिकित्सक पर शिकंजा कसने के लिए ब्लॉक के एसडीएम व बीएमओ एवं थाना प्रभारी को संयुक्त दल के साथ सदस्य नियुक्त किया हैं। जानकारों का मानना है कि झाबुआ जिले सहित ग्रामीण अंचलों में कई जगह अपंजीकृत चिकित्सक अवैध तरीके से अपने क्लीनिक संचालन कर रहे इनके क्लीनिक पर हर दिन काफी मरीज पहुंचते हैं यह अवैध चिकत्सक दवाई रखने के साथ बोतल व इंजेक्शन का भरपूर उपयोग करते हैं अगर कभी कैसे बिगड़ जाए तो यह ज्यादा स्थिति गंभीर होने पर मरीज को अन्य अस्पताल में ले जाने का खर्चा भी देते ग्रामीण अंचलों में ज्यादातर तो फर्जी अवैध तरीके से बंगाली डॉक्टर इलाज करते हुए पाए जाएंगे जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल से डिग्री प्राप्त करके यह किसी गांव में प्रैक्टिस करते हैं और फिर क्लीनिक खोलकर बैठ जाते हैं एक गांव में दो से तीन बंगाली डॉक्टर आपके क्लीनिक संचालित करते हुए आसानी से दिखाएं देते इन्हें अंग्रेजी दवाई बोतल चढ़ाने व टांके लगाने का अधिकारी नहीं है लेकिन यह सब तरीके से इलाज करते हैं जानकारो की माने तो बंगाली डॉक्टर हाई डोज देते हैं जिससे मरीज को जल्दी आराम मिल जाता है और रुपए कम लेने के चक्कर में यह कुछ ही दिनों में अपनी पकड़ अच्छी तरह से गांव में जमा लेते हैं,बीएचएमएस डिग्री धारी( बैचलर ऑफ़ होम्योपैथिक मेडिसिन एन्ड सर्जरी) बीएएमएस डिग्रीधारी( बैचलर ऑफ़ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) इन डॉक्टरों को बोतल लगाने और टांके लगाने का अधिकार नहीं है यह होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक होते हैं उसके बाद भी अंग्रेजी दवाई देते हैं।