सनातन धर्म के मुख्य त्योहार दो-दो तिथियां पर आने से उत्साह और उमंग घटता जा रहा है।
रायपुरिया@राजेश राठौड़
अंचलों में एक कहावत है आधे गांव में होली आधे गांव में दिवाली वहीं अब हो रहा है आधे गांव में आज हुई गोवर्धन पूजा आधे गांव में कल होगी गोवर्धन पूजा,
ज्योतिष, आचार्य के पंचांगो से हिंदू समाज का सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली पर्व मनाया जाता है लेकिन विगत तीन चार वर्षों से सभी त्योहार दो होने से फिके होने लग गये जो उत्साह होना चाहिए वह दिखाई नहीं देता है तिथि घट जाने एवं बढ़ जाने के कारणों से देश के सभी आचार्य को इस विषय पर ध्यान देना चाहिए की इस तरह त्योहार मे असमंजस जैसी स्थिति नहीं होना चाहिए उसका हल निकालना चाहिए ताकि सनातन धर्म के लोग एक ही दिन त्योहार मनाए अगर ऐसा ही त्योहार पर तिथि के घट जाने बढ़ जाने से यहां आने वाली पीढ़ी सनातन धर्म के त्यौहार भूल जाएगी भारतीयो के मुख्य त्यौहार दीपावली, रक्षाबंधन और होली है। विगत कुछ वर्षों से इन त्योहारों की दो तिथियां आ रही है जिससे अब ज्योतिषयों, पंडीत के पंचांग से अब विश्वास उठने लगा है जब इस विषय में पंडित नंदन दवे से चर्चा की तो उन्हें ने बताया कि ज्योतिष में दो मत चलने के कारण विद्वान लोग अपनी विद्वत्ता दिखाने के लिए दो-दो तिथियां घोषित कर देते हैं इस कारण दो तिथियां पर त्यौहार मनाया जा रहा है इन पंचांग कर्ताओं के चक्कर में हम जैसे छोटे पंडितों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
ऐसे दो-दो तिथियां पर त्यौहार होने से त्योहारों का उत्साह उमंग फीका होता जा रहा है ऐसे देखे जाए तो आने वाले समय में सनातनी संस्कृति त्योहारों की विश्वसनीयता को खतरा है।