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झाबुआ जिले की कानून व्यवस्था पर सवाल: पुलिस थानों में वर्षों से तैनात कर्मियों की साठगांठ से बढ़ रहे अपराध…?

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झाबुआ@आयुष पाटीदार/आनंदीलाल सिसोदिया ✍️

आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। जिले में अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे हैं, और इसके पीछे एक प्रमुख कारण पुलिस थानों में वर्षों से जमे पुलिसकर्मी माने जा रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिसकर्मी एक ही स्थान पर लंबे समय तक तैनात रहते हुए अपराधियों के साथ साठगांठ बना लेते हैं, जिसके चलते अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है। कई मामलों में तो पुलिस एफआईआर तक दर्ज नहीं करती है, जिससे अपराधियों का मनोबल बढ़ रहा है और जिले में अपराध की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

इस स्थिति ने जिले की कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। पुलिस थानों में वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों की इस स्थिति को लेकर स्थानीय नागरिकों में भारी नाराजगी है। उनका कहना है कि जब पुलिसकर्मी ही अपराधियों से मिलीभगत कर अपराधों को बढ़ावा देंगे, तो जिले में शांति व्यवस्था की उम्मीद करना बेमानी है।

पुलिस मुख्यालय का आदेश फिर भी अनदेखी..?

इस संबंध में पुलिस मुख्यालय का स्पष्ट आदेश है कि किसी भी पुलिसकर्मी को एक थाने में तीन वर्षों से अधिक नहीं रखा जाएगा। आदेश में यह भी कहा गया है कि कोई भी अधिकारी या कर्मचारी तीन वर्ष की अवधि पूरी करने के बाद फिर से उसी थाने में पदस्थ नहीं किया जाएगा। इसके बावजूद झाबुआ जिले के कई पुलिसकर्मी इस नियम की अनदेखी करते हुए एक ही स्थान पर तैनात हैं, जो कानून व्यवस्था के प्रति पुलिस विभाग की उदासीनता को दर्शाता है।

अब देखना यह है कि इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन कब और क्या कदम उठाता है ताकि जिले में अपराध की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।

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