#Jhabuahulchul
खवासा@आनंदीलाल सिसोदिया/आयुष पाटीदार
आदिवासी समुदाय की पारंपरिक चक्रीय जीवनशैली को पुनर्जीवित करने तथा स्वराज की अवधारणा को मज़बूत करने के लक्ष्य के साथ शुरू हुई स्वराज संदेश संवाद पदयात्रा – 2024 आदिवासी समुदाय में व्याप्त पर्यावरण संरक्षण के पारंपरिक प्रयासों को नई पीढ़ी से जोड़ने तथा उन्हें प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने के लिए प्रेरित करने के लिए स्वराज संदेश संवाद पदयात्रा आज 4 अलग अलग स्थानों से एक साथ रवाना हुई । प्राकृतिक संसाधनों के अनुचित एवं अत्यधिक दोहन से समुदाय के विकास में आ रही बाधा को दूर करने के लिए और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए स्थानीय समाधान खोजने पर संवाद के उद्देश्य से आयोजित इस यात्रा को 4 अलग-अलग स्थानों से जन प्रतिनिधियों द्वारा हरी झंडी दिखा कर रवाना किया गया।
वाग्धारा संस्था के सचिव जयेश जोशी ने बताया कि स्वराज को सही मायने में जीते हुए आदिवासी व कृषक समुदाय ने सदियों से आज तक प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण व संवर्द्धन किया है तथा जीवन मूल्यों को समाज के लिए जीवित रखा है। आज के बदलते युग में परंपरागत प्रथाओं को भुला कर बाज़ार पर निर्भरता की वजह से उत्पन्न जलवायु परिवर्तन की चुनौतयों से सभी लोग जूझ रहे हैं । इन चुनौतियों के समाधान प्रौद्योगिकी में नहीं, बल्कि स्वराज आधारित चक्रीय जीवनशैली की जलवायु-संवेदनशील वृत्ताकारजीवन-प्रथाओं में निहित हैं इसीलिए समुदाय की सच्ची और अच्छी पद्धतियों को समुदाय तथा समस्त लोगों तक तक पहुँचाने की आवश्यकता है। इस यात्रा का नेतृत्व आदिवासी और कृषक समुदायों द्वारा किया गया । संवाद कार्यक्रम , समूह कार्य तथा चौपाल जैसे विभिन्न आयोजनों में महिला एवं पुरुषों की बराबर भागीदारी रही जहाँ समुदाय के साथ हुई बैठकों में विभिन्न स्त्रोतों द्वारा प्राप्त ऊर्जा, उनके महत्त्व तथा चक्रीय जीवनशैली को लेकर संवाद किया गया। मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के थांदला ब्लाक के ग्राम खजूरी से यात्रा को अनुसूचित जन जाति मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष श्री कल सिंह जी भाभर (पूर्व विधायक थांदला), रूसमाल मईडा – खजुरी सरपंच, तथा मुकेश भाभर जनपद सदस्य द्वारा हरी झंडी दिखाकर शुभारम्भ किया। छोटी धमनी गाँव में समुदाय के साथ बैठक में सरपंच वाहडिया गरवाल ने अपनी भागीदारी निभाते हुए विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त ऊर्जा एवं उसके महत्व पर चर्चा में भाग लेते हुए आज के जलवायु परिवर्तन के दौर में सौर ऊर्जा की आवश्यकता पर बल दिया गया । उन्होंने कहा कि सभी को इसे अपनाने पर विचार करना चाहिए । इस अवसर पर खवासा में रात्रि चौपाल का आयोजन भी किया गया । प्रातः 9 बजे से शुरू होकर यात्रा बोरवा, थांदला, छोटी धमनी होते हुए 15 किलोमीटर की दूरी तय कर अपने गंतव्य स्थान पर पहुँची। यात्रा में पर्यावरणीय, पोषण, कृषि तथा चक्रीय जीवनशैली के संदेशों से सुसज्जित रथ के माध्यम से आकर्षक तरीके से समुदाय तक जानकारी दी गयी । रात्रि विश्राम के दौरान सांस्कृतिक आयोजन भी आयोजित किया गया । इस अवसर पर लोगों ने अपने स्वराज संकल्प को दोहराते हुए एक मुट्ठी अनाज तथा अपने खेत की एक मुट्ठी मिटटी का अंशदान दिया।