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रायपुरिया@राजेश राठौड़
दस रुपए के नोट, दस और पाँच रुपये के सिक्कों की कमी से बाजार में अफरा-तफरी मची हुई है। खुले पैसे के अभाव में व्यापारी और आम जनता दोनों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बाजार में बड़े नोटों का चलन तो हो रहा है, लेकिन छोटे नोट और सिक्कों की अनुपलब्धता ने व्यापारियों को मुश्किल में डाल दिया है।
खुले पैसे की किल्लत ने बढ़ाई व्यापारी-ग्राहक के बीच तनातनी…
बाजार में बड़े नोटों का ही प्रचलन होने के कारण, जब ग्राहक व्यापारी से सामान खरीदता है, तो उसे खुले पैसे लौटाना एक चुनौती बन गया है। इस स्थिति में व्यापारी अक्सर कटे-फटे नोट देने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जिससे कभी-कभी ग्राहकों के साथ बहस या विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
चार-पाँच वर्षों से बाजार में दस और पाँच रुपये के नोट-सिक्कों की भारी कमी…
व्यापारियों ने शिकायत की है कि पिछले कुछ वर्षों से दस रुपये के नोट और सिक्के, और पाँच रुपये के सिक्के बेहद कम उपलब्ध हैं। यहाँ तक कि बैंकों में भी खुले पैसे नहीं मिलते; बैंक भी बड़े नोट ही देते हैं। ऐसे में व्यापार करना और ग्राहक संतुष्टि बनाए रखना मुश्किल हो गया है।
खुले पैसे के बिना व्यापार कैसे करें..?
कपड़ा व्यापारी प्रकाश कोटडिया ने बताया कि खुले पैसे की व्यवस्था के लिए उन्हें अन्य व्यापारियों और ग्राहकों से उधार लेने की आवश्यकता पड़ती है, परंतु ये पैसे वापसी में फिर से बाजार से गायब हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी दुकान पर प्रतिदिन लगभग 10 से 20 हजार रुपये का खुला पैसा चाहिए होता है, जिससे रोजमर्रा के लेनदेन में कठिनाई नहीं हो।
अन्य व्यापारियों पर भी असर…
अनाज व्यापारी भी इस स्थिति से परेशान हैं। उन्होंने बताया कि वह अपनी जरूरत के हिसाब से खुले पैसे का प्रबंध करते हैं, लेकिन खुले पैसों की कमी ने सभी व्यापारियों को बाधित कर दिया है। पूरे बाजार में यही स्थिति बनी हुई है, और अब व्यापारी यह सोचने पर मजबूर हैं कि आखिर यह खुले पैसे जा कहां रहे हैं।
यह समस्या सिर्फ रायपुरिया में नहीं, बल्कि आस-पास के इलाकों में भी फैलती जा रही है, जिससे व्यापारियों की चिंता बढ़ रही है और व्यापार में असुविधा हो रही है।