झाबुआटॉप न्यूज़

पेटलावद के मांडन गांव में दशहरा: आदिवासी परंपरा और अनूठी मान्यताओं का संगम,,,मन्नते और चमत्कारों का मंदिर,,,भविष्यवाणी की अनोखी परंपरा जिसे देख आदिवासी बना लेते हे फसल की योजना,,,अगले वर्ष फसलों के क्या रहेंगे भाव देखे इस भविष्यवाणी में..!

#Jhabuahulchul 

सारंगी से संजय उपाध्याय की दशहरा स्पेशल रिपोर्ट

नवरात्रि के नौ दिन की पूजा के बाद दशमी के दिन पूरे देश में दशहरा अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। जहां एक ओर बड़े शहरों में रावण दहन कर इस पर्व को मनाया जाता है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में इसे विशेष परंपराओं के साथ मनाया जाता है। इसी कड़ी में हम बात कर रहे हैं झाबुआ जिले की पेटलावद तहसील के छोटे से गांव मांडन की, जो रतलाम और झाबुआ की सीमा पर स्थित है। यहां दशहरा आदिवासी संस्कृति के अनुसार एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाया जाता है, जिसमें पूरे गांव के लोग उत्साहपूर्वक शामिल होते हैं।

पछाड़मल भेरूजी मंदिर: श्रद्धा का केंद्र

मांडन गांव में दशहरे के दिन विशेष पूजा अर्चना के लिए ग्रामीण अपने परिवारजनों के साथ पछाड़मल भेरूजी मंदिर पहुंचते हैं। वे नए वस्त्र धारण कर अपनी मन्नत पूरी होने की कामना करते हैं। इस मंदिर में दशहरे के दिन एक खास परंपरा निभाई जाती है जिसे ‘वाड़ी निकालना’ कहा जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में गेहूं के दाने मिट्टी के बर्तन में बोए जाते हैं, और दशमी के दिन उन्हें विसर्जित किया जाता है। यह अनुष्ठान ग्रामीणों के लिए अत्यंत पवित्र होता है, जिसे देखने के लिए हजारों लोग वहां एकत्रित होते हैं।

भविष्यवाणी की अनोखी परंपरा

इस धार्मिक आयोजन की एक और खासियत है, मंदिर के मुख्य पुजारी भेरूलाल गरवाल द्वारा की जाने वाली भविष्यवाणी। दशहरे के दिन वे हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में आगामी वर्ष के मौसम और फसल की भविष्यवाणी करते हैं। उनकी भविष्यवाणियों के आधार पर आसपास के गांवों के किसान अपनी फसल की बोवनी की योजना बनाते हैं। इस वर्ष उन्होंने वर्षा, तापमान और फसलों के भाव के बारे में जानकारी दी, जिससे ग्रामीणों को आगामी कृषि सत्र की तैयारी में मदद मिलेगी। जैसे कि जेठ विदी माह में 7 दिन की वर्षा होगी, जेठ सुदी में 5 दिन के बाद 10 दिन वर्षा होगी , आसाड विदी में चौथ से भवानी शुरू होगी, आसाड सुदी में भारी वर्षा होगी लेकिन कोहरा नहीं होगा, सावन माह में हल्की वर्षा देखने को मिलेगी भादवा विदी में अति भारी वर्षा होगी भादवा सुदी में हल्की बूंदाबांदी वर्षा होगी, कुवार में पंचमी के बाद 7 दिन की वर्षा होगी, और कार्तिक अमावस्या के बाद मावठा गिरेने की संभावना हे , वही पंडित जी द्वारा फसलों के भाव को लेकर भी भविष्यवाणी की जिसमें कपास ₹7000 से ₹12000 ,
मक्का ₹2000₹ से ₹3000 , गेहूं ₹2200 से ₹3000 ,
तुवर दाल ₹10000 से ₹13000 , सोयाबीन ₹3500 से ₹5500 तक , मिर्ची ₹225 से ₹250 तक, टमाटर ₹350 से लेकर ₹800 तक लहसुन ₹10000 से ₹12000 एवं तरबूज ₹3500 प्रति क्विंटल बिकेंगे , इस भविष्यवाणी को सुनने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पर पहुंचते हैं ।

दर्शकों की भीड़ और प्रशासनिक व्यवस्था

दशहरे के इस पवित्र अनुष्ठान को देखने के लिए 12 गांवों के लोग मांडन में इकट्ठा होते हैं। इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के कारण व्यवस्था बनाए रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। सारंगी पुलिस चौकी के प्रभारी बृजेंद्र सिंह अपने दलबल के साथ सुरक्षा व्यवस्था संभालते हैं। बीती रात से ही श्रद्धालुओं का यहां पहुंचना शुरू हो जाता है, और देर रात तक रंगारंग नाटक मंच का आयोजन चलता रहता है। पुलिस प्रशासन दिन-रात सतर्क रहता है ताकि कोई अव्यवस्था न हो।

मन्नतें और चमत्कारों का मंदिर

मांडन गांव का पछाड़मल भेरूजी मंदिर अपनी चमत्कारिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां लोगों का मानना है कि इस मंदिर में जो भी मन्नत मांगी जाती है, वह अवश्य पूरी होती है। चाहे वह सूनी गोद का भरना हो, बीमारियों का ठीक होना हो, या फिर कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय प्राप्त करना—हर प्रकार की समस्या का समाधान यहां मिलता है। यही कारण है कि दूर-दूर से लोग यहां मन्नतें लेकर आते हैं और उनकी पूर्णता पर फिर से यहां आकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।

मांडन का यह दशहरा, न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि आदिवासी संस्कृति और परंपराओं को जीवंत बनाए रखने का भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।

हमारे द्वारा इस गांव में पीढ़ी दर पीढ़ी से यह परंपरा चली आ रही है , मेरे द्वारा इस मंदिर की में विराजमान भेरू , दुझार बाबजी की पूजा अर्चना कर सेवा की जाती है, यहां सभी की मांग , मन्नत पूरी होती है, और दशहरा के दिन एक बड़ा आयोजन यहां होता है। जिसे देखने आसपास के गांव से हजारों लोग यहां उपस्थित होते हैं। सभी आसपास गांव से लोग अपनी वाड़ी यहां लाते हे और यहां एकत्रित एक साथ वाडी निकाल कर विसर्जन किया जाता है।

मुख्य पुजारी , भेरूलाल गरवाल मांडन

मैं यहां बचपन से देख रहा हूं कि यहां नवरात्रि में दशहरे के दिन एक बड़ा आयोजन होता है ,रात में नाटक मंच का भी आयोजन होता है ,जिसे देखने हजारों की संख्या में लोग यहां उपस्थित होते हैं, और दशहरे के दिन वाड़ी विसर्जन का कार्यक्रम भी एक अनूठी परंपरा है, जो लगतार चलती आ रही है।

श्यामलाल पाटीदार , स्थानीय निवासी मांडन

मेरे द्वारा भी यहां पर पूजा अर्चना का आयोजन में हिस्सा लिया जाता है , यहां पर पूजा अर्चना करने से मांग मन्नते लोगों की पूरी होती है ,और यहां सभी गांव के लोग एक साथ एकत्रित होकर अपनी मन्नतें पूरी करते हैं, इस अनुष्ठान को देखने के लिए पूरे परिवारजन एक साथ एकत्रित होते हैं।

राजाराम गोस्वामी , स्थानीय निवासी मांडन

मेरी उम्र 100 वर्ष के लगभग है और मैं प्रतिवर्ष इस अनुष्ठान में भाग लेती आई हूं , मेने यहां कई चमत्कार देखे हैं , यहां पर ऐसे चमत्कार भी हुए हैं जिसे भूल पाना आज भी मुश्किल होता है, इसलिए इस धार्मिक स्थल पर लोगो का आज भी आस्था का केंद्र बना हुआ है, और लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं।

सुंदर मां , स्थानीय निवासी मांडन

मेरे पिताजी इस मंदिर के पुजारी भी है ,और मै यहां मेरे पिताजी के साथ बरसों से इस अनुष्ठान को देखते हुए आई हूं , यह अनुष्ठान एक अलग ही आदिवासी संस्कृति और प्रकृति पर बना हुआ है, यहां आदिवासी परंपरा के अनुसार दशहरा मनाया जाता है, एवं दशहरे के दिन वाडी विसर्जन का कार्यक्रम के पश्चात यहां भविष्यवाणी की जाती है ,और इस भविष्यवाणी के अनुसार हम आदिवासी अपनी फसल की योजना बनाते हैं , यहां 9 दिन तक जो गेहूं बोकर जो वाड़ी बनाई जाती है, उस वाड़ी के गेहूं को देखकर ही हम पता लगा लेते हैं कि इस बार फसल कैसी होगी।

सोनू भाभर , स्थानीय निवासी मांडन

मांडन के इस मंदिर पर एक अलग ही अनुष्ठान का आयोजन होता है, जिस पर प्रशासन ने भी काफी रोक लगाने की कोशिश की थी , लेकिन इस मंदिर की चमत्कारी शक्तियों के आगे प्रशासन को भी झुकना पड़ा था, मेरे पिताजी बताते हैं कि यहां एक बार प्रशासन ने रोक लगाने की कोशिश की थी ,लेकिन भेरुजी की इतनी चमत्कारिक शक्तियां थी कि यहां पर रोक लगाना नामुमकिन रहा , तब से इस मंदिर की खासियत और बढ़ती गई और यहां लोगो की भीड़ दिन प्रतिदिन बढ़ती गई, यहां हर रविवार को एक जात्रा की जाती है ,जिसमें सभी के रोग, उनकी समस्या मुख्य पुजारी द्वारा दूर किया जाता है।

भूरूलाल खिमाजी गामड़ , स्थानीय निवासी
मांडन

पुलिस प्रशासन द्वारा यहां पर सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए जाते हैं , इस गांव में मान्यता के अनुसार यहां पर हजारों की संख्या में लोग एकत्रित होते हैं, और अपनी मांगे मन्नत पूरी करते हे , हमारे पुलिस बल द्वारा यहां पर रात से ही सुरक्षा के इंतजाम किए जाते हैं ,और दशहरे के दिन भी हमारी पेट्रोलिंग टीम और स्थानीय पुलिस बल भी यहां उपस्थित रहता है।

बृजेंद्र सिंह , पुलिस चौकी प्रभारी, सारंगी

 

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