सरकारी सिस्टम की पोल खोलती स्कूल,,,गरीब की गरीबी का तमाशा देखना हो तो इस स्कूल में चले आइए…!

#Jhabuahulchul
बामनिया@जितेंद्र बैरागी
बामनिया के समीप धुमडिया गांव के रावत फलीये की एक स्कूल का मामला सामने आया है। जहां पर बच्चों को एक भी शासकीय सेवा शासकीय नियम के अनुसार नहीं मिल रही। पहली से पांचवी तक की कक्षाएं एक छोटे कमरे में संचालित हो रही है। शौचालय के नाम पर केवल तीन दीवारों और एक छत है। शौचालय के अंदर टाइल्स तो छोड़िए गिट्टी माल के नाम का एक सीमेंट का छिटा भी नहीं डाला। ना ही शौचालय में नल हे, ओर नल नहीं है तो ऊपर पानी की टंकी का काम ही नहीं मतलब पानी की टंकी स्कूल में नहीं है। टॉयलेट में सिर्फ टॉयलेट सीट लगी हुई है। इन सबसे बड़ी बात शौचालय में इज्जत को ढक सके वह दरवाजे नहीं। बच्चो ने बताया कि खिर पूड़ी झंडे वाले दिन ही मिलती है। मतलब बच्चों ने 15 अगस्त के बाद आज तक स्कूल में खीर पूरी नहीं खाई। स्कूल की रोटी खाने के लिए बच्चों को। घर से किताबों के साथ थाली भी रखकर बस्ते में लानी पड़ती है। बच्चों की थाली में जो दाल आ रही है वह दाने को गिनती लगाने अधिकारी को खुद स्कूल पहुंचना पड़ेगा। यहां तक की बच्चों को सही से काला बोर्ड भी नसीब नहीं। ओर अच्छी शिक्षा के लिए शिक्षक को समय पर पहुंच कर पूरी स्कूल समय तक लेना जरूरी होता है।
रावत फलीये की यह स्कूल गरीब आदिवासी बच्चों के भविष्य पर किया जा रहा जुल्म साफ़ दिखाती है।





